सेहतस्वास्थ्य

मेटाबॉलिक डिसॉर्डर से बढ़ती है फैटी लिवर की चिंता, जानिए क्या कहता है सर्वे

ज्यादा शराब पीने से फैटी लिवर से जुड़ी समस्या हो सकती है। इसके अलावा, खराब मेटाबॉलिज्म भी फैटी लिवर का कारण बनता है। दिल्ली के 11 जिलों में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि 18 वर्ष से ऊपर के हर दो में से लगभग एक व्यक्ति को मेटाबॉलिक-एसोसिएटेड फैटी लीवर डिजीज (एमएएफएलडी) है। इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलिअरी साइंसेस (आईएलबीएस) के डॉक्टरों के अनुसार, 6,000 से ज्यादा लोगों का सर्वेक्षण किया गया। अध्ययन आबादी के 56% यानी 3,468 प्रतिभागियों में एमएएफएलडी पाया गया। हालांकि उनमें से अधिकांश ज्यादा वजन वाले लोग थे। वहीं 11% दुबले लोग थे या उनका वजन सामान्य था, जैसा कि एलिमेंटरी फार्माकोलॉजी एंड थेरेप्यूटिक्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है।

समय पर कार्रवाई की जरुरत– आईएलबीएस के निदेशक और सर्वे रिपोर्ट के लेखक डॉ. एसके सरीन ने टीओआई को बताया कि एमएएफएलडी, जिसे पहले नॉन-अल्कोहल फैटी लीवर डिजीज कहा जाता था, उसकी व्यापकता पहले की तुलना में ज्यादा मिली है। माना जाता है कि ऐसा इसलिए क्योंकि लोग आसपास के मोहल्ला क्लीनिकों पर निर्भर थे। उनका कहना है कि यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति है और हमें इस बढ़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समय पर कार्रवाई करने की जरुरत है ताकि इससे जुड़ी समस्या और मृत्यु दर को रोका जा सके। एमएएफएलडी का तात्पर्य लिवर में फैट के निर्माण से है। जो ज्यादा वजन,मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, ब्लड में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल और मेटाबॉलिज्म संबंधी विकार जैसे एक या ज्यादा मेटाबॉलिक जोखिम का कारण है।

गंभीर बीमारियों से जुड़ा है एमएफएलडी – डॉ सरीन का कहना है कि एमएएफएलडी लिवर की गंभीर बीमारियों से जुड़ा है, जैसे गैर-अल्कोहल स्टीटोहेपेटाइटिस (बहुत कम या बिल्कुल शराब नहीं पीने वाले लोगों में लिवर में फैट का जमा होना), लिवर में घाव या स्थायी डैमेज, लिवर कैंसर और अंततः समय से पहले मौत। फैटी लीवर हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दूसरे गैर-संचारी रोगों से 10-15 साल पहले होता है। फैटी लीवर को रोककर और उलट कर, हम एक दशक में इस बोझ को कम कर सकते हैं।

एमएएफएलडी जोखिम को कैसे कम करें – आईएलबीएस के निदेशक ने कहा कि एमएएफएलडी जोखिम को कम करने के लिए कुछ तरीकों को अपना सकते हैं। जैसे वजन कम करना, व्यायाम करना, समय पर खाना और बचपन के मोटापे को रोकना।

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