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‘जब सारे प्रयास समाप्त हो जाते हैं…’, RSS प्रमुख भागवत का PM मोदी पर तंज, रिटायरमेंट की ओर इशारा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का एक बयान कुछ दिन पहले चर्चा का विषय बना था। उन्होंने कहा था कि जब कोई नेता 75 वर्ष का हो जाता है, तो उसे शाॅल ओढ़ाई जाती है। इसका अर्थ यह होता है कि अब उसकी उम्र हो गयी है और उसे दूसरों को मौका देना चाहिए। भागवत के इस बयान को विपक्ष ने एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया है।

कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने इस आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर माह में 75 वर्ष के होने जा रहे हैं। इसके बाद नागपुर में एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने यह भी कहा कि जब सारे प्रयास विफल हो जाते हैं, तब लोग आम जनता की ओर जाते हैं। ऐसा कहकर उन्होंने मोदी को संकेत दिया है।

मनुष्य को ईश्वर तक पहुंचाने वाले मार्ग शिव से ही निकले हैं: RSS प्रमुख

मोहन भागवत ने दीनदयालनगर स्थित श्री पांडुरंगेश्वर शिव मंदिर में दर्शन किए। इस अवसर पर भागवत ने कहा कि भगवान शिव में अत्यंत महान शक्ति है। मनुष्य को ईश्वर तक पहुंचाने वाले मार्ग शिव से ही निकले हैं। इतनी शक्ति होने के बावजूद शिव विरक्त स्वभाव के हैं। वे भौतिक सुखों से हमेशा दूर रहे। उन्होंने संसार के कल्याण के लिए विष तक पिया। उन्होंने आगे कहा कि आजकल अच्छे दिन आए हैं, इसलिए कुछ पाने की प्रवृत्ति बढ़ गई है। परंतु यह शिव का स्वभाव नहीं है। जिससे आम लोगों को नुकसान हो सकता है, ऐसा संकट खुद पर लेना ही शिव का स्वभाव है। ऐसा जीवन जीने की आवश्यकता है।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इंसान के लालच की वजह से आज संकट उत्पन्न हो रहे हैं। उसमें मौजूद कट्टरता के कारण क्रोध, द्वेष बढ़ रहा है, और इससे झगड़े व युद्ध हो रहे हैं। “मुझे ही सब कुछ चाहिए, दूसरों को कुछ न मिले तो भी चलेगा – ऐसी स्वार्थी प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो मनुष्य का काला पक्ष है। इस प्रवृत्ति को बदलना आवश्यक है। शिव की पूजा करना यानी इस प्रवृत्ति को बदलना है।

भागवत ने कहा कि मुझे कुछ नहीं चाहिए, सादगी से रहना चाहिए, और करुणा का भाव हर किसी में होना चाहिए। अपने जीवन का उपयोग संसार के हित में हो-यही शिववृत्ति है। ऐसा पवित्र जीवन जीने की आवश्यकता है। इसके लिए शिवभक्ति आवश्यक है।

शिव सामान्य जनता के प्रतीक

मोहन भागवत ने कहा कि श्रावण माह में सभी शिव की भक्ति करते हैं। शिव सामान्य जनता का प्रतीक हैं। जब सारे प्रयास समाप्त हो जाते हैं, तब लोग आम जनता की ओर रुख करते हैं। यदि जनता के मन में कुछ आता है, तो कार्य भी पूरे हो सकते हैं। बुद्धिजीवी लोग कहते हैं कि संसार में परिवर्तन आ रहा है। यदि यह बात समझकर मनुष्य ने सही कदम नहीं उठाए, तो विनाश तय है। लेकिन अगर समय की पहचान कर ली जाए, तो एक नया और उन्नत समाज खड़ा किया जा सकता है।

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