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मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र पर मनरेगा खत्म करने का आरोप लगाया

नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के आवंटन में कटौती करके इसे खत्म करने की कवायद में जुटी है, जो संविधान के खिलाफ अपराध है।
उन्होंने खबरों का हवाला देते हुए दावा किया कि मोदी सरकार ने अब वर्ष के पहले 6 महीनों के लिए मनरेगा खर्च की सीमा 60 प्रतिशत तय कर दी है।
खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मोदी सरकार गरीबों की जीवन-रेखा मनरेगा को तड़पा-तड़पा कर ख़त्म करने की कवायद में जुटी है। मोदी सरकार ने अब वर्ष के पहले 6 महीनों के लिए मनरेगा खर्च की सीमा 60 प्रतिशत तय कर दी है। मनरेगा जो संविधान के तहत काम के अधिकार का क़ानूनी अधिकार सुनिश्चित करती है, उसमें कटौती करना संविधान के ख़िलाफ़ अपराध है।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या ऐसा मोदी सरकार केवल इसलिए कर रही है, क्योंकि वो गरीबों की जेब से करीब 25,000 रुपये करोड़ छीनना चाहती है, जो कि हर साल, साल के अंत तक, मांग ज़्यादा होने पर उसे अगले वित्तीय वर्ष में अलग से ख़र्च करने पड़ते हैं?’’
खरगे ने कहा कि मनरेगा एक मांग आधारित योजना है, इसलिए यदि आपदाओं या प्रतिकूल मौसम की स्थिति में पहली छमाही के दौरान मांग में वृद्धि होती है, तो क्या होगा? क्या ऐसी सीमा लागू करने से उन गरीबों को नुकसान नहीं होगा, जो अपनी आजीविका के लिए मनरेगा पर निर्भर हैं?’’
उन्होंने कहा, ‘‘सीमा पार हो जाने पर क्या होगा? क्या राज्य मांग के बावजूद रोज़गार देने से इनकार करने के लिए मजबूर होंगे, या श्रमिकों को समय पर भुगतान के बिना काम करना होगा? कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि क्या ये सच नहीं कि एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, केवल 7 प्रतिशत परिवारों को वादा किए गए 100 दिन का काम मिल पाया है?
खरगे ने पूछा, ‘‘करीब 7 करोड़ पंजीकृत श्रमिकों को मनरेगा से आधार आधारित भुगतान की शर्त लगाकर बाहर क्यों किया गया? 10 वर्षों में मनरेगा बजट का पूरे बजट के हिस्से में सब से कम आवंटन क्यों किया गया? ग़रीब विरोधी मोदी सरकार, मनरेगा मजदूरों पर जुल्म ढाने पर क्यों उतारू है?’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘मनरेगा पर ख़र्च रोकने की कुल्हाड़ी, हर ग़रीब के जीवन पर मोदी सरकार द्वारा किया गया गहरा आघात है। कांग्रेस पार्टी इसका घोर विरोध करेगी।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने आग्रह किया, ‘‘मनरेगा श्रमिकों के लिए रोजाना 400 रुपये की न्यूनतम मजदूरी तय की जाए। दूसरी, साल में कम से कम 150 दिन का काम मिले।’

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