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बंद कमरों में चर्चा के बाद लगाए जा रहे फोन, नाम वापसी के पहले क्या होगा समझौता?

भोपाल। मध्य प्रदेश में नामांकन जमा करने के बाद कल 2 नवंबर को नाम वापसी का आखिरी दिन है। तारीख नजदीक आते ही प्रदेश की दो शीर्ष पार्टी बीजेपी और कांग्रेस ने पूरा जोर रूठों को मनाने में पर है। दोनों पार्टी के वरिष्ठ अपने-अपने नेताओं के मान मनौवल में जुटे हुए हैं। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में वोट कटने के डर से नाराज नेताओं को नाम वापस लेने के लिए मनाया जा रहा है।

दरअसल मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बीजेपी और कांग्रेस के कई नेताओं ने टिकट न मिलने से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया और निर्दलीय नामांकन भरा। इससे दोनों ही दलों को आशंका की है कि पार्टी से बागी नेता उनका चुनावी समीकरण बिगाड़ सकते हैं। सबसे ज्यादा बगावत ग्वालियर चंबल संभाग में देखी गई है। मध्य भारत अंचल में 12 सीट पर बगावत देखने को मिली है। मालवा निमाड़ में दर्जनों बागियों ने निर्दलीय फॉर्म भरा है। इसी तरह विंध्य महाकौशल की कुल 11 सीटों पर बगावत हुई है।

कल 2 नवंबर को नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन है। ऐसे में वोट विभाजित होने की आशंका के चलते प्रयास किया जा रहा है कि नाराज नेताओं को मनाकर नाम वापस लेने का जाए। बता दें कि बीजेपी और कांग्रेस आला कमान ने भी दोनों ही दलों के नेताओं को बैठक में बागियों को मनाने कहा गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी तीन दिवसीय मध्य प्रदेश के दौरे पर थे जहां उन्होंने भी बागी नेताओं के साथ बैठक की थी। साथ ही उन्हें आगामी समय में संगठन में बड़ा अवसर देने का वादा किया गया है।

वहीं दूसरी ओर दिल्ली में कांग्रेस के आला कमान के साथ बैठक के बाद एमपी पीसीसी चीफ कमलनाथ, दिग्विजय और एमपी चुनाव प्रभारी की बंद कमरे में बैठक हुई। जिसके बाद उन्होंने नाराज नेताओं को फोन लगाकर मनाने का प्रयास किया। बता दें कि टिकट वितरण से नाराजगी के बाद दोनों ही पार्टी के कई नेताओं ने कहीं दूसरे दल का दामन थाम लिया तो कहीं प्रत्याशियों ने शक्ति प्रदर्शन दिखाने के बाद निर्दलीय पर्चा भर दिया।

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