मध्य प्रदेशराजनीतिक

भाजपा में इस्तीफों का दौर…कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी

भोपाल । मप्र में चुनावी रण लगभग सज गया है। भाजपा ने 228 और कांग्रेस ने 229 चुनावी सेनानियों को मैदान में उतार दिया है। लेकिन इसके साथ ही टिकट को लेकर कलह भी तेज हो गया है। स्थिति यह अनकंट्रोल हो गई हैं। हालांकि डैमज कंट्रोल करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। भाजपा में इस्तीफों का दौर तेज हो गया है। भाजपा ने सिंगरौली से विधायक रामलल्लू वैश्य को टिकट काट दिया है। उनकी जगह रामनिवास शाह को टिकट दिया गया है। इससे नाराज होकर वैश्य ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। रविवार को वे समर्थकों के साथ भाजपा के खिलाफ उतर आए हैं। इस बार कलह का कहीं-कहीं रौद्र रूप भी देखने को मिला है। इस बगावत और विद्रोह को देखकर दोनों पार्टियों के रणनीतिकार असमंजश में पड़ गए हैं। यही नहीं पार्टियों को डर सताने तगा है कि ये बगावत और विद्रोह कहीं उनका गणित ने बिगाड़ दे।

दरअसल, भाजपा और कांग्रेस में टिकट न मिलने के बाद विद्रोह और बगावत इसलिए अनकंट्रोल हो गई कि दोनों पार्टियों ने 6 माह से इन नेताओं को टिकट देने के नाम पर खुब काम करवाया है। इनका भरपूर उपयोग किया है। सभा और रैली के आयोजन में पैसे खर्च करवाया है और टिकट किसी और को दे दिया है। इसलिए ये नेता अभी नहीं तो कभी नहीं की तर्ज पर आक्रामक रूख अपनाए हुए हैं। ग्वालियर पूर्व से मुन्नालाल अग्रवाल का टिकट कटने के बाद उनके समर्थक रविवार सुबह केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सिंधिया महल के सामने धरना देने के लिए सुबह नौ बजे पहुंच गए। करीब तीन घंटे बाद सिंधिया अपने महल से निकले और कार्यकर्ताओं से बात करने लगे। सिंधिया ने कहा कि वे पार्टी के नेताओं से बात करेंगे। लेकिन उनकी बात को सुनने के लिए कार्यकर्ता तैयार नहीं हुए। वे उनके सामने जमीन पर लेट गए। जब कार्यकर्ता नहीं माने तो सिंधिया अपनी कार में बैठकर जाने लगे। कार्यकर्ता कार के सामने भी लेट गए। इसके सिंधिया के गार्डों के उन्हें बड़ी मुश्किल से हटाया और केंद्रीय मंत्री कार्यकर्ताओं से बचकर निकल गए।

धड़ाधड़ इस्तीफे

भाजपा और कांग्रेस में नाराज नेताओं के धड़ाधड़ इस्तीफे हो रहे हैं। टीकमगढ़ विधानसभा से भाजपा के पूर्व विधायक केके श्रीवास्तव ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। श्रीवास्तव टिकट वितरण से नाराज हो गए है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यहां सर्वे और कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई है, जिसके चलते वे व्यथित है। इसलिए पार्टी के सभी दायित्वों से मुक्त होकर अपना इस्तीफा जिला अध्यक्ष को सौंप दिया है। इधर भोपाल की दक्षिण पश्चिम विधानसभा से भी इस्तीफे का दौर शुरू हो गया है। मंडल अध्यक्ष, मोर्चा समेत कई पदों पर भाजपा पदाधिकारियों ने त्यागपत्र दिया है। यहां भाजपा प्रत्याशी भगवानदास सबनानी का कार्यकर्ता विरोध कर रहे है। वहीं पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता को टिकट देने की मांग कर रहे है। सबसे बड़ा विरोध निमाड़ क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। यहां पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है अब याचना नहीं रण होगा। ग्वालियर में टिकट नहीं मिलने से नाराज जय सिंह कुशवाह ने पार्टी छोड़ दी। कुशवाह केंद्रीय मंत्री तोमर के समर्थक हैं। भाजपा में दक्षिण-पश्चिम सीट से टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता पार्टी के काम छोडक़र घर बैठ गए हैं।

आरोप-प्रत्यारोप तेज

विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा और टिकट कटने से नाराज नेताओं के बगावत के बाद नेताओं में जुबानी जंग भी तेज हो गई है। पार्टी को चुनाव में होने वाली क्षति के इतर भाजपा और कांग्रेस के नेता एक-दूसरे पर हमलावर है। दोनों पार्टी के नेता एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस ने सत्ताधारी भाजपा में टिकट बिकने का आरोप लगाया है। पीसीसी चीफ कमलनाथ के सलाहकार पियूष बबेले ने कहा कि जबलपुर से लेकर महल तक की तस्वीर आ रही हैं। भाजपा में टिकट बिके हैं। भाजपा अब भ्रष्टाचार जनता पार्टी हो गई है। कांग्रेस के बयान पर भाजपा ने भी पलटवार किया है। भाजपा प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि पार्टी में एक दो विषय ही ऐसे हैं। कपड़ा फाड़ प्रतियोगिता तो कांग्रेस में चल रही है। भाजपा में नाम कमल, पहचान कमल, निशान कमल है। भाजपा कार्यकर्ता कमल को जिताने में लगे हैं। आरोप-प्रत्यारोप के बीच भाजपा मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल का भी बयान सामने आया है। कहा कि मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है, क्या मेरे हक में फैसला देगा। कांग्रेस की बैठक पर भाजपा ने तंज कसा है। डैमेज कंट्रोल कांग्रेस में आत्म विरोधाभासी है। डैमेज कंट्रोल कांग्रेस में हास्यास्पद है। डैमेज के असली कारण वही हैं जो अब डैमेज कंट्रोल के लिए बैठेंगे।

नाराजों के लिए आप के द्वार खुले

उधर, भाजपा और कांग्रेस से जिन नेताओं को टिकट नहीं मिली है। वह आम आदमी पार्टी की सदस्यता ले रहे हैं। सदस्यता लेने के साथ ही आम आदमी पार्टी आयातित नेताओं को विधानसभा की टिकट दे रही है।

आम आदमी पार्टी ने अभी तक 69 उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी है। हाल ही में कांग्रेस के पूर्व विधायक रामपाल सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। एक दिन पहले ही वह आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे और भाजपा नेता सुधीर यादव को भी आम आदमी पार्टी ने टिकट दिया है।वह बंडा विधानसभा क्षेत्र से अपना भाग्य,आम आदमी पार्टी की टिकट पर आजमाने जा रहे हैं। भाजपा के नेता मुकेश जैन ढाना को भी सागर से टिकट दिया गया है।

आम आदमी पार्टी ने अपनी तीसरी सूची जारी की है।इसमें 30 उम्मीदवारों को टिकट दी है। जावरा से भगवती धाकड़ गोहद से यशवंत पटवारी ग्वालियर ग्रामीण से सुमित पाल ग्वालियर दक्षिण से पंकज गुप्ता ग्वालियर से रोहित गुप्ता को आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है। नरियावली से अरविंद तोमर जतारा से अनीता प्रभु दयाल खटीक पृथ्वीपुर से उमा कुशवाह खरगापुर से प्यारेलाल सोनी राजनगर से राजू पाल मैहर से बैजनाथ कुशवाहा रामपुर बघेलान से शशि दीपक सिंह बघेल देवघर से महर्षि सिंह गूढ से प्रखर प्रताप सिंह चितरंगी से महादेव सिंह मुड़वारा से सुनील मिश्रा जबलपुर कैंट से राजेश कुमार वर्मा शाहपुरा से अमर सिंह मार्को हेमंत शर्मा कालापीपल से चतुर्भुज तोमर पानसेमल से दयाराम डाबर मनावर से लाल सिंह इंदौर 5 से विनोद त्यागी और उज्जैन उत्तर से विवेक यादव को आम आदमी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है।

आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी के रूप में चुनाव मैदान में उतरी है। राष्ट्रीय पार्टी बने रहने के लिए उसे ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने है। राष्ट्रीय पार्टी बने रहने के लिए उसे निश्चित संख्या में वोट भी चाहिए होते हैं।कांग्रेस और भाजपा के टिकट वितरण से नाराज नेताओं को टिकट देकर आम आदमी पार्टी,राष्ट्रीय पार्टी का दावा और वोट बैंक बढ़ाने की दिशा में अग्रसर है। दोनों पार्टियों की नाराजी से आम आदमी पार्टी अपने मंतव्य में सफल होती हुई दिख रही है। वहीं कई प्रत्याशी अच्छे हैं।जो कांग्रेस और भाजपा की जीत हार का कारण भी बनेंगे। जानकारी के अनुसार आम आदमी पार्टी भी इस बार वोट कटवा पार्टी के रूप में अपनी पहचान बनाएगी।

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