रायगढ़ शहर को डुबाने को आमादा शहर सरकार – धांधली के साथ साथ अवैज्ञानिक तरीके से ही रहा है सड़क निर्माण…

⭕ अवैज्ञानिक तरीके से बगैर सोकपिट के बन रही हैं सड़कें भविष्य में बन सकती हैं बड़ी परेशानी का कारण!
⭕ जल निकासी और भूजल स्तर को लेकर शहर सरकार की गंभीर लापरवाही, पड़ेगी जनता पर भारी
⭕ छह महीने पहले बनी सड़क पर पुनः किया जा रहा डामरीकरण बना जन चर्चा का विषय

रायगढ़। शहरी विकास के नाम पर शहर में तेज़ी से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन इन सड़कों का निर्माण धांधली के साथ साथ बिना किसी वैज्ञानिक योजना और पर्यावरणीय दृष्टिकोण के किया जा रहा है। हालात यह हैं कि ये नई सड़कें बगैर soak pit या जल पुनर्भरण प्रणाली के ही तैयार की जा रही हैं।एक छोर से दूसरे छोर तक पक्का निर्माण बारिश के मौसम में इन सड़कों पर जलभराव की स्थिति पैदा कर सकता है क्योंकि छोटी, बेतरतीब और जाम नालियों के भरोसे वर्षा जल की निकासी सम्भव नहीं है। जब वर्षा जल के लिए ज़मीन में समाने का रास्ता नहीं होगा, तो वह सड़कों और गलियों में जमा हो जायेगा इससे न केवल ट्रैफिक बाधित होगा बल्कि जनजीवन को भारी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। जलभराव के कारण सड़कें जल्दी टूटती भी हैं, जिससे जनता के पैसों का दुरुपयोग होता है।
भूजल संकट की ओर बढ़ता शहर:-
बिना सोकपिट के सड़कें बनाना भूजल स्तर गिरने का बड़ा कारण बनता है। वर्षा का पानी यदि ज़मीन में नहीं समाता है तो प्राकृतिक जल स्रोतों की भरपाई नहीं हो पायेगी। आने वाले समय में यही लापरवाही पीने के पानी के संकट का रूप ले सकती है।वैसे भी शहर के तालाब, पोखर,मैदान अतिक्रमण की भेंट चढ़ पक्के निर्माण की शक़्ल अख्तियार कर चुके हैं।

प्रशासनिक उदासीनता
नगर निगम के आयुक्त इस विषय पर आंख मूंदे बैठे हैं। किसी भी निर्माण योजना में वर्षा जल निकासी या रिचार्ज पिट की व्यवस्था को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए जा रहे हैं जिसके दूरगामी दुष्परिणाम भविष्य में रायगढ़ वासियों को भुगतना पड़ेगा।
क्या होना चाहिए:-
नई सड़कों में सोकपिट बनाना अनिवार्य किया जाए,
हर निर्माण योजना में जल निकासी की स्पष्ट योजना हो,
पुराने निर्माण स्थलों पर भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की जाए।
विकास की राह पर चलते हुए अगर हम प्रकृति को नजरअंदाज करेंगे, तो आने वाला कल हमें भारी कीमत चुकाने को मजबूर कर देगा। ज़रूरत है कि अब हर विकास योजना में पर्यावरणीय संतुलन और जल संरक्षण को सबसे ऊपर रखा जाए।