“ईमानदारी का साइड इफ़ेक्ट: ट्रांसफर थैरेपी के 12 डोज़..” रायगढ़ तहसील में बना एक अनोखा कीर्तिमान…

# ईमानदारी का तोहफ़ा: एक साल बनाम 12 तबादले..
# “यात्रा-प्रधान” कार्यकाल की मिसाल होगी कायम..
रायगढ़।जमीन के आसमान छूते दामों ने कई पटवारियों की ज़िंदगी को ऐसा बदला कि सैलरी के पैसों को खाते से आहरण किये बिना पॉश कॉलोनियों में महलनुमा मकान, महंगी गाड़ियों महंगे मोबाइल तक पहुँचा दिया है।लेकिन राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार के चरमोत्कर्ष पर पहुंचने के बावजूद रायगढ़ के एक पटवारी साहब इस ट्रेंड के अपवाद हैं ।आपको बता दें कि जिस हल्के में भी इनकी पोस्टिंग हुई है वहां के ग्रामीणों ने इनके कार्यों को सराहा है यही नहीं उनके अन्यत्र स्थानांतरण को रोकने बाकायदा ज्ञापन भी सौंपा है लेकिन कहा जाता है न कि जो सिस्टम में फिट नहीं वह हिट नहीं यह व्यवस्था का तरीका है समझाने का कि “ईमानदार रहोगे, तो स्थाई कहीं नहीं रहोगे।”रायगढ़ तहसील में कार्यरत पटवारी अमरदास संजय के साथ ऐसा ही कुछ हो रहा है। एक वर्ष में 12 बार स्थानांतरण का दंश झेलने वाले पटवारी अमरदास ने बारम्बार स्थानांतरण को अपनी नियति जान शिकवे शिकायत से भी पल्ला झाड़ लिया है। सूत्रों का कहना है कि यह पटवारी न तो नामांतरण के लिए “चाय-पानी” माँगता है, न सीमांकन के लिए “विशेष सुविधा शुल्क” लेता है। बस यही उसकी सबसे बड़ी गलती है। नतीजा— एक साल में 12 बार तबादला। महीने का कैलेंडर बदलते ही इनका कार्यालय बदल जाता है।जबकि इसी तहसील में अप्रेल माह में पटवारियों के हुए जंबो तबादले से पूर्व कुछ ऐसे भी चेहरे हुआ करतें थे जो वर्षों से एक ही जगह सुशोभित रहते थे भले ही उनके खिलाफ शिकायतों की लंबी फेहरिस्त क्यों न लंबित हो।
फिलहाल पटवारी साहब फिर से नए गाँव में चार्ज ले रहे हैं और अगले महीने कहाँ होंगे— यह भविष्यवाणी अब मौसम विभाग से भी ज़्यादा कठिन है।
