
— कार्रवाई के नाम पर हद से हद दो चार निलंबन मात्र..!जोकि मामला ठंडा पड़ते ही पुनः अन्यत्र पदस्थापना पाकर उपकृत हो जाते हैं..
–मुआवजे की खातिर रातों-रात उग आए मकान और शेड…
–छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के रोड़ापाली गांव में इन दिनों धान के खेतों की जगह मकान और टीन के शेड की खेती जोरों पर है…
वजह? — कोयला खदान के लिए अधिग्रहित जमीन का मुआवजा..
रायगढ़ ।करीब 10 साल पहले गांव की 80% जमीन महाराष्ट्र पॉवर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) को कोयला खदान के लिए दी गई थी। अब मुआवजे का खेल शुरु हुआ है, जिसमें ज्यादा पैसे कमाने की होड़ में ग्रामीण और बाहरी लोग रातों-रात शेड और मकान खड़े कर रहे हैं।
–इसलिए हो रहा ये सब
नियम के मुताबिक, खाली जमीन का मुआवजा 25-30 लाख रूपये प्रति एकड़ है, लेकिन अगर उसी जमीन पर शेड हो तो मुआवजा बढ़कर 3 करोड़ तक जा सकता है। अगर मकान बना हो, तो 5 करोड़ रुपये तक मिल सकते हैं। बस, यही लालच लोगों को रातों-रात बिल्डर बना रहा है। गांव में जहां सड़कें तक ढंग की नहीं हैं, वहां आलीशान मल्टी-स्टोरी इमारतें, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, दुकानें, टीन शेड, तालाब, ट्यूबवेल और मुर्गी फार्म तक बन रहे हैं।
–इस तरह बन रहे मकान
ये मकान सिर्फ दिखावे के लिए हैं। काली मिट्टी की ईंटों से बने इन ढांचों में न दरवाजे हैं, न खिड़कियां, न सीढ़ियां। मजदूर बताते हैं कि ये सिर्फ मुआवजे के लिए बनाए जा रहे हैं, जो बाद में तोड़े जाएंगे। एक मजदूर ने कहा, “पहला तल 9 फीट ऊंचा, दूसरा 7 फीट। बस ढांचा तैयार हो रहा है। शेड बनाने का खर्च 30 रुपये प्रति वर्ग फीट है, लेकिन मुआवजा 700 रुपये प्रति वर्ग फीट मिलता है। मकान बनाने में 500 रुपये प्रति वर्ग फीट खर्च होते हैं, और मुआवजा 1200 रुपये प्रति वर्ग फीट तक मिल जाता है।