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माता बहिनी मन के निर्जला व्रत तीजा…

आलेख।हमर छत्तीसगढ़ के लोक-परब म सबले बड़का अऊ सबले सुग्घर, दाई–दादा, भाई–बहिनी के मया–पिरित के रंग मां रंगे तीजा के परब ला माने जाथे।जेकर अगोरा ल हमर दाई–बाहिनी मन ला बछर भर ले रहिथे। जईसे ही पोरा के परब हर लकठाथे। बहिनी मन अपन भाई के डहर ल देखना शुरू कर देथे। अउ जईसे ही भाई हा बाहिनी ला लेवा के ले जाथे।बहिनी अपन दुवारी मा जाके जिंनगी के सुख–दुख ला अपन हिरित–पिरीत, सखी–सहेली, अउ दाई–दादा करा गोठिया के धन्य हो जाथे। तीजा के पहिली दिन, दाई–बहिनी मन अपन जम्मो सगा–सोदर घर किंजर–किंजर के करू भात खाथें।दुसर दिन फेर उपवास रहिथे।आज के दिन माता बाहिनी मन सोला सिंगारी करके अपन पति के नाम निर्जला व्रत ला शुरू कर देथें। सम्मक घर–दुवारी, खोर–गली मा चहल–पहल दिखे लागथे।घरो–घर ,किसम –किसम के रोटी–पीठा, सोन–सोन महमहात रहिथे।संगे–संग दाई- बाहिनी मन के हंसी-
ठिठोली,मया–पिरित के गोठ–बात,देखे म मन मोह लेथे। ए परब के दुसर दिन मही भात खाय अउ खवाय जाथे।जेकर बात अलग होथे।सुहागिन दाई–बाहिनी मन के कठिन उपवास के परब “तीजा” भादो मास के शुक्ल पक्ष म तीज के दिन होथे। एला “हरितालिका” परब भी कहे जाथे।ए परब म तीजा के दिन माता बाहिनी मन निर्जला उपवास रहिथें।बिहनिया के बेरा म एला शुरू करथें अऊ फेर पहाती रात के झुलझूलहा बेरा मा भगवान भोले नाथ गौरी पार्वती के पूजा-अर्चना करके अपन उपवास ला पूरा करथें।ए तीज परब के संबंध म सुग्घर कथा आथे की –
“एक बार दक्ष प्रजापति के बेटी सती,शंकर भगवान के अर्धांगिनी रिसे। लेकिन राजा दक्ष हर भगवान शंकर के घोर अपमान,अउ उपेक्षा कर दिस, एला देख के पार्वती हर क्षुब्ध हो के ओतकेच बेरा म यज्ञ कुंड म कूद के अपन प्राण ल त्याग दिस। फेर ऊही माता हर पर्वतराज हिमालय के घर म जनम लिस। अउ ओहर पार्वती बनिस।“
एकर एक ठन अउ प्रसंग आथे कि नारद मुनि के कहे म राजा हिमांचल पार्वती के बिहाव ला भगवान विष्णु करा, करवाय के इच्छा करिस।लेकिन पार्वती के मन ला देख के उकर सखी मन ओला हरण कर के कटकटात जंगल म एक ठन कंदरा म ले गिन। इहाँ पार्वती हर इही दिन माटी के शिवलिंग स्थापना करके भगवान ला पाए खातिर परण करिस।ओकर तपस्या ले भगवान शंकर प्रसन्न हो गिन,अऊ जेहर बिहाव नई करे के परण करईया,पार्वती के कठिन तपस्या ला देख के अपन अर्धांगिनी रूप म स्वीकार कर लिन।इही कारण से तीजा परब ल माता बहिनी मन कठिन निर्जला उपवास रखथें।अईसनहा उपवास रखे मा उमन ल सुग्घर चरित्रवान पति प्राप्त होथे। अऊ सुहागिन माता मन अपन पति के उमर ल लम्बा करे के वरदान पाथें।अउ दु, चार दिन रहिके फेर दाई-बाहिनी मन अपन जनम दुवारी ला छोड़ के अपन ससुरार विदा हो जाथें।
अईसन बेरा म दाई–दादा अपन मया ल अमर रखे खातिर सुंदर कपड़ा–लत्ता, साड़ी भेंट करथें।जेहर मईके के सबले बड़े भेंट माने जाथे।जेमा दाई–दादा के आशीष अऊ मया दुलार हर समाय रहिथे।

अशोक पटेल “आशु”
तुस्मा,शिवरीनारयण(छ ग)

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