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कोंदा भैरा के गोठ- व्यंग्यकार सुशील भोले…

.-आज के वैज्ञानिक युग म जइसे-जइसे हमन दुनिया संग जुड़े बर सोशलमीडिया के नॉव म अगास म उड़ियावत हावन.. वइसनेच-वइसे अपन जड़ अउ घर-परिवार ले दुरिहावत जावत हन जी भैरा.
-कइसे जी कोंदा?
-देखना.. सोशलमीडिया म कहे बर तो हमर हजारों संगी-साथी अउ हितु-पिरितु हे, फेर जब कभू जर-बुखार म खटिया धर लेथन त कोनो पानी पुछइया तक हमर तीर म नइ राहय.
-ए बात तो सोला आना आय जी संगी.. अउ हम उही बिन आधार के संगी मन के चक्कर म अपन घर-परिवार सबो ले तिरिया जाथन. उंकर संग न कभू गोठ-बात न कभू मेल-जोल.
-हव जी.. दुनिया संग जुड़े के नॉव म अगास म उड़ियाना तो ठीक हे, फेर अपन जमीन ल छोड़ के उड़ियाना ह जी के काल आय.

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