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कोंदा भैरा के गोठ – सुशील भोले

-अभी नवरात म दुर्गा सप्तशती के पाठ तो करत होबे न जी भैरा?
-करथौं न जी कोंदा.. कभू-कभू मन होथे त अइसने आने बखत घलो कर लेथौं.
-ए तो बने बात आय जी संगी, फेर तैं जानथस दुर्गा सप्तशती के रचना हमर छत्तीसगढ़ म ही मार्कंडेय ऋषि ह करे रिहिसे?
-वाह भई.. ए बात ल तो कभू नइ सुने रेहेन संगी!
-हाँ.. हमर बस्तर के जिला मुख्यालय जगदलपुर ले 40 कि.मी. दुरिहा मारकंडी नदिया के तीर चपका नॉव के गाँव हे, इहें ऋषि मार्कंडेय ह राहत रिहिसे, जिहां महादेव के आशीर्वाद ले दुर्गा सप्तशती के संगे-संग मार्कंडेय पुराण के रचना वो मन करे रिहिन हें.
-भारी अचरज के गोठ आय संगी हम अपने तीर-तखार के इतिहास अउ गौरव ले अनचिन्हार बने हावन.
-हव जी.. कतकों दृष्टि ले ऐतिहासिक चपका गाँव म आज घलो मार्कंडेय ऋषि के धुनी अउ प्रतिमा ल प्रत्यक्ष देखे जा सकथे. इहाँ एक प्राकृतिक जलस्रोत घलो हे. संग म देखे के लाइक अउ कतकों देव मूर्ति अउ जगा हें.

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