कोन्दा भैरा के गोठ – व्यंग्यकार सुशील भोले..

–तोला वो बेरा के सुरता हे जी भैरा.. जब पेट्रो तेल के विकल्प के रूप म इहाँ रतनजोत नॉव के पेड़ लगाए के भारी नारा चलत रिहिसे.
-हाँ सुरता कइसे नइ रइही जी कोंदा.. तब जगा-जगा लिखाय राहय- अब तेल नहीं आएगा खाड़ी से, हमको मिलेगा अपने घर की बाड़ी से.
-हाँ उही रतनजोत जेला हमन इहाँ के देशी किस्म ल बगरंडा/बगरंडी कहिथन. एकर बीजा ले तेल निकाले के एको ठन फैक्टरी अभी तक नइ खुल पाए हे का?
-कोन जनी संगी आरो तो नइ पाए हौं.. हाँ भई फेर एकर बीजा ल खा के अबड़ झन लइका मन के बीमार परे के खबर जरूर सुने हावंव.
-कतकों जगा ले तो मरे के खबर घलो आ धमकथे, फेर एकर बीजा ले तेल निकाले के फैक्टरी के सोर हमर एती तो नइ सुनाए हे.
-वइसे ए अच्छा उदिम रिहिसे, फेर कोन जनी कइसे अरझे असन होगे ते?
-सरकार के बहुत अकन उदिम मन लोक हितकारी होथे, फेर कोन जनी काबर वो ह बेरा ले पहिली अल्लर पर जाथे?