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कोन्दा भैरा के गोठ – व्यंग्यकार सुशील भोले..

जे मन कोनो विषय म पीएचडी कर लेथें, ते मनला वो विषय के संगे-संग सबोच विषय के विद्वान मान के उंकर लिखे अउ बोले गे वाक्य मनला ही पखरा के लकीर बरोबर मान लेथन जी भैरा.
-हाँ ए बात तो सिरतो आय जी कोंदा.. तभे तो अइसने मनला अतिथि बना के फूल-माला पहिरावत रहिथन.
-फेर कतकों बखत इहू देखे म आथे के वो पीएचडी धारी ह नकलचोट्टई कर के या पइसा के पंदोली दे के सेती उपाधि पाए रहिथे, एकरे सेती वोकर वक्तव्य म आरुग सत्य के दर्शन नइ हो पाय.
-अच्छा.. अइसना घलो हे?
-हहो.. मैं अइसन कतकों उपाधि धारी मनला जानथौं, जे मन अपन विषय म घलो अधकचरा बरोबर जनाथें.
-वोकर मन जगा विश्वविद्यालय के डिग्री होथे न जी संगी, लोगन के नजर म वोकरे तो मान-सम्मान हे.
-अइसने नकलचोट्टई ले बाॅंचे खातिर अभी सरकार ह स्वास्थ्य विभाग म मेडिकल शोधगंगा प्लेटफार्म बनाय हे, जेकर ले अइसन लोगन मन के असलियत आगू आ सकय.. मोला लागथे के सरकार ल सबो विभाग के शोध कारज खातिर अइसने उदिम करना चाही.

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