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कोन्दा भैरा के गोठ – व्यंग्यकार सुशील भोले..

–एक तो हमर इहाँ लोगन ल बीमारी ले बचाए बर बने गतर के न तो दवई-पानी मिलय अउ न बने अस अस्पताले मिलय .. फेर कभू कभार भूले-भटके कुछू बने अस मशीन-उसीन के सुविधा मिले अस जनाथे, त अधिकारी मन के लापरवाही के मारे उहू जिनिस के उपयोग नइ हो पावय जी भैरा.
-सही आय जी कोंदा.. लोगन के बीमारी के संगे-संग पूरा सिस्टम घलो बीमार अस जनाथे.
- हहो.. अब हमर राजधानी रायपुर के सबले बड़का अस्पताल आंबेडकर के हाल ल देख ले बछर 2018 म कैंसर मरीज मन के जॉंच करे म सोहलियत जनावय गुन के 18 करोड़ रुपिया के पैट सीटी मशीन बिसाए गे रिहिसे, फेर अधिकारी मन के लापरवाही के मारे वो मशीन ह आज तक चालू नइ हो पाइस. उल्टा बिना देखभाल के अदर असन परे रेहे के सेती ए पॉंच बछर म वो मशीन ह एक्सपायर होगे, माने उपयोग के लायक घलो नइ रहिगे.
-वाह भई.. जब राजधानी म अइसन हाल हे, त गाँव-गंवई मन के तो मरे-बिहान होही जी संगी!