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कोन्दा भैरा के गोठ – व्यंग्यकार सुशील भोले..

–हमर देश के राजनीति म किसान मन बर कभू ठोसहा नीति बना के उनला सत्ता पाए के केंद्र म नइ राखे जावत रिहिसे जी भैरा.
-ए बात तो वाजिब आय जी कोंदा एकरे सेती तो देश के चारों मुड़ा ले किसान मन के आत्महत्या करे के संग खेत-खार ल बेच-भांज के शहर डहर पलायन करे के खबर सरलग आवत राहय, फेर ए दरी हमर छत्तीसगढ़ म ए नजारा ह बदले असन जनावत हे.
-हव जी संगी.. पहिली बेर छत्तीसगढ़ के राजनीति म किसान मन केंद्र बिंदु म हावंय. सबोच पार्टी वाले मन उनला खुश करे के उदिम म भीड़े हें.
-हव जी.. पहिली किसान मन सरकारी उपेक्षा ले हलाकान होके खेती मनला बेचे के ही बुता करंय, जेमा अन्ते ले अवइया व्यापारी अउ धन्नासेठ मन काबिज हो जावत रिहिन हें, फेर अब नजारा ह आने जनाथे.
-सही आय.. किसान मन बर अभी के नीति अउ उदारवादी बेरा ह हरित क्रांति ले बढ़ के सोनहा क्रांति कस जनावत हे.