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कोन्दा भैरा के गोठ-व्यंग्यकार सुशील भोले…

जहाँ चुनाव आइस तहाँ ले दुनिया भर के राजनीतिक दल अउ पार्टी मन के दर्शन होए ले धर लेथे जी भैरा.
-सही आय जी कोंदा.. अभी हमर छत्तीसगढ़ म ही आधा सैकड़ा ले जादा पार्टी मन के जानबा होए हे, एमा के कतकों के तो न तो कोनो दफ्तर हे अउ न कार्यकर्ता, भइगे चुनावी चंदा के आस म पंजीयन करवा के दलाली के आस लगाए बइठे रहिथें.
-फेर एक बात हे संगी, अब हमन इहाँ दू बड़का राष्ट्रीय पार्टी मन के सरकार देख डारेन, फेर कोनोच ह हमर सांस्कृतिक अस्मिता के मापदंड म टन्नक नइ जनाइस. मोला लागथे इहाँ एक पोठ क्षेत्रीय दल होना चाही, जेन इहाँ के भाषा, संस्कृति के संग ही इहाँ के मूल आध्यात्मिक उपासना अउ जीवन पद्धति ल लेके मैदान म आवय.
-हव जी.. इहाँ कतकों क्षेत्रीय पार्टी तो हें, फेर वो मन आने देश-राज के गुरु-ग्रंथ मनला मुड़ म बोह के रेंगथें, एकरे सेती उंकर मन ऊपर भरोसा ह डांवाडोल होथे.
-हव जी.. हमला इहेंच के सबो आरुग चाही, तभे अलग छत्तीसगढ़ राज बने के अवधारणा पूरा हो पाही.

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