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कोन्दा भैरा के गोठ- व्यंग्यकार सुशील भोले…

-वइसे तो मैं जात-पात ल मानौं नहीं जी भैरा, फेर देश म बगरे लोगन के मानसिकता ल देखबे त ए ह अमरबेल कस रोज के रोज छछलत असन जनाथे.
-महूं ल अइसने जनाथे जी कोंदा. अभी देखना बिहार राज म जाति आधारित जनगणना होय हे त चारों मुड़ा ले एकर ऊपर राजनीतिक तिरिक-तिरा चालू होगे हे.
-हव जी.. अभी प्रधानमंत्री ह हमर बस्तर म आके कहि दिस के ए देश म गरीबी ह इहाँ के सबले बड़का जाति आय.
-ए तो वोकर धरम के नॉव म बना के राखे गे वोट बैंक ल बचा के राखे खातिर आय संगी. ए मन नइ चाहय के लोगन धरम के एकमई झंडा ल छोड़ के अलग-अलग जाति के झंडा धर लेवंय.
- महूं ल अइसने जनाथे जी.. सिरिफ अमीरी-गरीबी ह जाति के मानक होतीस, त इहाँ के उच्च जाति के गरीब मन निम्न जाति के गरीब माने जाने वाला मन संग रोटी-बेटी के संबंध ल हरहिंछा होके बनावत नइ जातीन? फेर ए जगा अमीरी गरीबी के बदला कुल-जात काबर देखे जाथे?