अन्य

जोहार दाई🙏

जोहार दाई🙏
मोतियन चउंक पुरायेंव… जोहार दाई
डेहरी म दिया ल जलायेंव… जोहार दाई
छत्तीसगढ़ महतारी परघाये बर,
अंगना म आसन बिछायेंव… जोहार दाई…

ओरी-ओरी धान लुयेन, करपा सकेलेन
बोझा उठा के फेर, सीला बटोरेन
पैर बगरायेन अउ दौंरी ल फांदेन
रात-रात भर बेलन घलो, उसनिंदा खेदेन
तब लछमी के रूप धरे, धान-कटोरा जोहारेंव… जोहार दाई…

बस्तर के बोड़ा सुघ्घर, सरगुजा के चार
जशपुर के मउहा फूल सबले अपार
शबरी के बोइर गुत्तुर, रइपुर के लाटा
नांदगांव के तेंदू पाके, हावय सबके बांटा
महानदी कछार ले, केंवट कांदा मंगायेंव… जोहार दाई…

छुनुन-छानन साग रांधेंव, गोंदली बघार डारेंव
मुनगा के झोर सुघ्घर, बेसन लगार मारेंव
इड़हर के कड़ही दाई, अम्मट जनाही
अमली के रसा सुघ्घर, कटकट ले भाही
दही-लेवना के मथे मही, आरुग अलगायेंव… जोहार दाई…

चूरी-पटा साज-संवागा, जम्मो तो आये हे
खिनवा-पैरी सांटी-बिछिया, करधन मन भाये हे
चांपा के कोसा साड़ी, जगजग ले दिखथे
रायगढ़ के बुने कुरती, सुघ्घर वो फभथे
राजधानी के सूती लुगरा, मुंहपोंछनी बनायेंव… जोहार दाई…

खनर-खनर झांझ-मंजीरा, पंथी अउ रासलीला
करमा के दुम-दुम मांदर, रीलो के हीला-हीला
भोजली के देवी गंगा, जंवारा के जस सेवा
गौरा संग बिराजे हे, देखौ तो बूढ़ा देवा
कुहकी पारत ददरिया संग, सुर-ताल मिलायेंव… जोहार दाई…

-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button