समीक्षा:- बाल उपन्यास ‘दिल में तित्तू धड़के’

लेखिका श्रद्धा थवाईत
छत्तीसगढ़ की हिंदी की प्रतिष्ठित लेखिका श्रद्धा थवाइत की लेखनी अविरल रूप से हिंदी की विविध विधाओं में निरंतर चल रही है। विभिन्न राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित एवं अपनी कथा प्रतिभा के लिए ज्ञानपीठ का प्रतिष्ठित 'नवलेखन' पुरस्कार प्राप्त कर चुकी है। आपकी प्रकाशित रचनाएं हैं-'दिल में तित्तू धड़के' बाल उपन्यास, 'हवा में फड़फड़ाती चिठ्ठियां ' एवं 'पगडंडी' कहानी संग्रह जो पाठकों के बीच काफी चर्चित रहा है। वर्तमान में लेखिका संयुक्त संचालक (वित्त) के पद पर एससीईआरटी छत्तीसगढ़ में पदस्थ हैं। उच्च पद में पदासीन होते हुए भी उनका लेखन कार्य निरंतर अविरल रूप से चल रहा है। बाल साहित्य बच्चों के अंतर मन का प्रतिबिंब है। बच्चे सहज, सरल मन के दर्पण होते हैं। बच्चों की कल्पना शक्ति बहुत तेज होती है इसलिए बच्चों को काल्पनिक कहानी पसंद आती है जिससे बच्चों की कल्पना शक्ति और मजबूत होती है जो बाद में अभिव्यक्ति का आधार बनती है। बाल साहित्य का उद्देश्य बच्चों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें शिक्षित करना ,उन्हें दुनिया के बारे में बताना और समस्या का समाधान भी करना सीखना है। बाल रचनाएं पढ़ कर बच्चों का भावात्मक, मनोवैज्ञानिक, मानसिक, आत्मिक,संवेदनात्मक उत्कर्ष होता है। श्रद्धा थवाईत की बाल उपन्यास 'दिल में तित्तू धड़के' बच्चों में भाषायी कौशल विकसित करते हुए उनके तात्कालिक अनुभव से परे बच्चों की दुनिया को समृद्ध बनाने के लिए एक विशाल स्त्रोत का प्रतिनिधित्व करती है।
जीवन और कल्पना के विविध रंगों को अपने में समेटे हुए उनकी एक अद्भुत काल्पनिक और सतरंगी दुनिया में भ्रमण कर वर्तमान समस्या का समाधान ढूंढती है। उनकी यह बाल उपन्यास लेखनी के संग-संग चलती है,रूकती ,सोचती ,चिंतन करती , बखूबी खूबसूरत है।
बाल उपन्यास ‘दिल में तित्तू धड़के’ 11 उप- शीर्षकों में विभाजित है जिसमें ‘अमरूद और गुबरैला’ , ‘चींटों की चटनी,’ ‘तित्तू की सवारी’, ‘पत्ती की गाड़ी’,’लान का जंगल’, ‘किटी की कहानी’ ,’खुशी की उड़ान’, ‘तित्तू के तेवर’, ‘चील और जंगल कोतवाल’, ‘पोंचू की दुनिया’, ‘दिल में तित्तू धड़के’ जो अपने शीर्षकों के अनुसार कथानक को आगे बढ़ता है।
इस बाल उपन्यास का कथानक कुछ इस तरह से है कि ……आप पोंचू (उपन्यास का मुख्य पात्र) की एक समानांतर और सपनों की दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं । कीट-पतंगों, पेड़-पौधों , पशु- पक्षियों के अपने अनुभव को याद करें और कल्पना की बेटी खोल ले…। लेखिका के यह शब्द अत्यंत रोचक है।
इस उपन्यास का मुख्य पात्र है पोंचू , जो स्कूल में शरारती बच्चों का शिकार होता है । उसके सपने में भी वे शरारती बच्चे दिखाई देने लगते हैं, वे उसे डराने लगते हैं। फिर कुछ ऐसा होता है कि सपनों की दुनिया में पोंचू खो जाता है और वह चींटों से भी छोटा हो जाता है,उसे एक तितली चींटों से बचाती है। वह तितली में सवार होकर उड़ता है।वह बुलबुल के झपटते से बचते हुए गिर जाता है। पीपल की पत्ती की सवारी करता है, उसकी डंडी की स्टेरिंग पड़कर उड़ता है पर क्रश हो जाता है। नीचे जमीन पर गिर जाता है वह घास के घने जंगल में गुम जाता है। वह किस तरह से निकलता है? इस तरह से वह सपनों की दुनिया में निडर होकर बहादुरी तक का सफर तय करता है ।पोंचू अपने वास्तविक दुनिया में किस तरह से बहादुर बन जाता है? इन प्रश्नों का उत्तर स्वप्न की यात्रा कल्पनिकता के साथ-साथ रोचकता लिए हुए है।
इस बाल उपन्यास में पोंचू की दुनिया में न केवल बच्चे बल्कि सजीव वस्तुएं, पेड़-पौधे , जीव -जंतु , तितलियों के साथ चींटों ,जंगल कोतवाल, सांप की मौसी- सांपसुल्ली,गुब्बरैल , जानवर, परिया, छोटे या बड़े होते हुए मनुष्य, प्रकृति भी स्वप्न और कल्पना में जीवंत दिखाई देते हैं।
यह बाल उपन्यास बच्चों की कल्पनाशीलता और उन्हें नई चीजों के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित करती है।साथ ही यह उपन्यास जीवन में संघर्ष से सफलता तक की सफर को जीने की प्रेरणा देता है।
यह बाल उपन्यास अलग-अलग शीर्षकों से पोंचू के साथ हुई घटनाओं को सपनों और कल्पनाओं को स्पष्ट करता है। जैसे अमरूद और गुबरैला, चींटों की चटनी, तित्तू की सवारी, पत्ती की गाड़ी,लान का जंगल,किटी की कहानी, खुशी की उड़ान,तित्तू के तेवर,चील और जंगल कोतवाल, पोंचू की दुनिया ।
यह बाल उपन्यास आकर्षक और रोमांच लिए हुए बच्चों का विषय वस्तु पर ध्यान आकर्षित कर उन्हें कहानी में डुबो देने में सक्षम है।
- इस बाल उपन्यास की भाषा बहुत ही सरल है । वाक्य संरचना सरल है। पात्रों के बीच संवाद सार्थक है,संवाद बहुत ही छोटे-छोटे हैं ; जिससे पात्रों के चरित्र को उजागर किया गया है।
मुख्य पात्र पोंचू का अपनी मां के साथ सहज ही वार्तालाप का उदाहरण देखिए-
उसने किलक कर कहा था, “मम्मा देखो कितनी सारी तितलियां!” तो मम्मा ने हंस कर असलियत सामने रखी, “ये तितलियां नहीं; पत्तियां हैं बेटू!” पोंचू को वह अभी भी तितलियां ही लग रही थीं। उसने अचरज में पड़ते हुए कहा, “पतियां हैं? आप कैसे पहचाने ?” पतिया हवा के साथ ही उड़ती है। तितलियां हवा के विपरीत भी उड़ने की कोशिश करती है। इसी से तुम उन्हें पहचान सकते हो।”
‘तित्तू की की सवारी’ में वार्तालाप देखिए बहुत ही रोचक है-
“जल्दी करो ! मुझ पर बैठ जाओ!” पीछे से एक आवाज आई। उसने मुड़कर देखा ।
एक बहुत बड़ी तितली दिखी , तो सामने खाई की कगार पर बैठी हुई। “जल्दी करो!, बैठो ! मेरे एंटीना को कस कर पकड़ लो”, तितली ने फिर से कहा। - इस बाल में उपन्यास में चित्र दिए गए है वे उच्च गुणवत्ता वाले और कहानी के पूरक हैं जो बच्चों के रोमांच और कल्पनाशीलता को बढ़ाते हैं।
- यह बाल उपन्यास कल्पनाशीलता और रचनात्मकता से भरपूर है जिसमें बच्चों की कल्पना को जगाने और नई चीजों, जीवों के बारे में सोचने और समस्या का समाधान करने में सक्षम बनाते हैं।
- इस बाल उपन्यास में बच्चे अच्छे और बुरे के बीच अंतर करना सीखते हैं,जिनसे उन्हें सकारात्मक मूल्यों को विकसित करने में मदद मिलेगी।
*यह बाल उपन्यास कक्षा 6 से लेकर 12वीं तक के बच्चों के लिए उपयुक्त है जिसमें बच्चों का साहित्य के प्रति लगाव , जिज्ञासाओं एवं लेखन की ओर प्रेरित करेगा।साथ ही बच्चों को विभिन्न भावनाओं को समझने और दूसरों के साथ सहानुभूति रखने में मदद कर सकता है। लेखिका श्रद्धा थवाईत की यह बाल उपन्यास बच्चों के साथ-साथ बड़ों एवं अन्य लोगों के लिए भी पठनीय है।
लेखिका जया जादवानी ने लिखा है- ‘एक बच्चे की नजर से देखो तो पेड़-पौधों, कीड़ों- मकोड़ों, फुलों- तितलियां रंगों का संसार अलग ही तरह से नजर आएगा। यहां चीज़ें धीमी गति से, संवेदनशीलता, भावात्मकता, कल्पनिकता और एक पवित्रता में घटती है। बाहर की आवा-जाही निश्चित है पर भीतर आसमान- तारे- नक्षत्र, चांद और सूरज जो तिलिस्म जो माया रच रहे हैं, उसे एक बच्चा ही समझ सकता है। यह किताब एक अच्छे एक बच्चे की आंख से वह सब दिखता है ,जो तुम अभी तक नहीं देख पाए थे।
लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने लिखा है कि ‘बच्चों की दुनिया दृश्यों और आवाजों की दुनिया होती है। लेखिका श्रद्धा थवाईत यह जानती है और हमें लिए जाती है- छोटे-छोटे जीवों से जीवंत हरे भरे सपनीले ले संसार में। जिन्हें केवल बच्चों की कौतुक्तता भरी आंखों ही देख पाती है।इस प्रकार यह बाल उपन्यास बच्चों की अचरज भरी दुनिया का रोमांचक सफर है। इसमें कल्पनाशीलता और यथार्थता का समीकरण किया गया है। बच्चों में भाषिक और संज्ञानात्मक कौशल विकसित करने का भरपूर प्रयास किया गया है ।इस बाल उपन्यास के माध्यम से बच्चों में पढ़ने की आदत और साहित्य की विधाओं को जानने का अवसर मिलेगा।
समीक्षक :
डॉ. जयभारती चंद्राकर
साहित्यकार, छत्तीसगढ़िया
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पुस्तक का नाम – दिल में तित्तू धड़के
लेखिका- श्रद्धा थवाईत
प्रकाशक -अनबॉउंड स्क्रिप्ट
बी- 10 वंडर्स बिजनेस सेंटर
प्लॉट नंबर जी -20 बेसमेंट,
प्रीत विहार, नई दिल्ली -110092
मूल्य- ₹199