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Coca-Cola और PepsiCo के बीच फिर से छिड़ा विज्ञापन युद्ध

पेय पदार्थ बनाने वाली प्रमुख कंपनियों कोका-कोला और पेप्सिको के बीच क्रिएटिविटी के साथ एड वॉर फिर शुरू हो गया है। इस बार कोका-कोला के ‘हाफ टाइम’ ए़डवर्टाइजमेंट के जवाब में पेप्सिको ने ‘एनी टाइम’ का अभियान शुरू किया है। आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए कोका-कोला के ‘हाफ टाइम’ कैंपेन का जवाब देते हुए पेप्सिको ने कस्टमर्स का ध्यान खींचने की कोशिश की है। इसके तहत कोका- कोला के एड के जवाब में कंपनी ने ‘एनी टाइम’ कैंपेन की शुरुआत करते हुए अखबार में एक पूरे पेज का विज्ञापन जारी किया है। एक महीने पहले टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शुरू किए गए अपने ‘हाफ टाइम’ कैंपेन में, कोका-कोला ने ब्रेक के समय कॉल्ड ड्रिंक के साथ रिफ्रेश होने का संदेश दिया था।

पेप्सिको ने ‘एनी टाइम’ से की समर कैंपेन की शुरुआत

हालांकि, पेप्सिको ने ‘एनी टाइम’ टैग लाइन के साथ समर कैंपेन की शुरुआत की है। इसके जरिये मैसेज दिया गया है कि किसी विशेष क्षण का इंतजार क्यों करें जब हाथ में पेप्सी के साथ हर पल बेहतर होता है। पेप्सी ने अपने नए एड में ड्रिंक का आनंद लेने के लिए जीवन के सर्वोत्तम क्षणों को लिस्ट किया है… पहली बार, प्यास का समय, दिन का समय, खेलने का समय, क्लास का समय, पास का समय, संकट का समय, लंच का समय, ठंड का समय, एक और समय, डिनर का समय, विजेता का समय, हमारा समय, मेरा समय। इस एड ने विज्ञापनों के रचानात्मक दौर के पुराने दिनों को वापस ला दिया है।

लोगों को याद आ गया 1996 का एड वॉर 

इस एड वॉर को लेकर लोग सोशल मीडिया पर बात कर रहे हैं। लोगों ने 1996 के एड वॉर को याद किया, जब पेप्सी ने ‘नथिंग ऑफिशियल अबाउट इट’ टैगलाइन से अपना एड कैंपेन शुरू किया था। पेप्सिको ने 1996 क्रिकेट वर्ल्ड कप में कोका-कोला के हाथों ऑफिशियल ड्रिंक को लेकर स्पॉन्सरशिप राइट खो दिए थे। प्रतियोगिता की मेजबानी भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने संयुक्त रूप से की थी। इसके बाद, पेप्सिको ‘नथिंग ऑफिशियल अबाउट इट’ कैंपेन लेकर आई। इस एड में क्रिकेट प्लेयर सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली और मोहम्मद अजहरुद्दीन जुड़े थे। पेप्सिको ने एक बयान में कहा, ‘‘जिन लोगों को याद है, उनके लिए ‘नथिंग ऑफिशियल अबाउट इट’ सिर्फ एक कैंपेन नहीं था – यह एक कल्चरल मोमेंट था। ब्रांड दर्शकों के बीच जुनून में बदल गया। यह साबित करता है कि कभी-कभी बहुत अधिक प्रयास न करना ही जीत का कदम होता है। और अब, दशकों बाद पेप्सी उसी सहज आत्मविश्वास के साथ कदम बढ़ा रही है।’’

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