कौडियों के मोल लेना करोड़ों का लाभ कमाना-आदिवासी भूमि हड़पने वाले चौरसिया बंधुओं का एक और काला कारनामा.. झारखण्ड के चोरों ने रायगढ़ में साहूकार का भेष किया धारण… शासकीय (बड़े झाड़ का जंगल) आबंटित भूमि को अवैधानिक रूप से क्रय कर बेचने का आरोप..इस बार किसी मयंक गर्ग नामक व्यक्ति को पहनायी गई करोडों की टोपी…

रायगढ़।मूलतः झारखण्ड निवासी चौरसिया बंधुओं पर हाल ही में आदिवासी वर्ग की जमीन को पटवारी एवं अन्य राजस्व कर्मचारियों अधिकारियों की सांठगांठ से दस्तावेजों में हेराफेरी कर आदिवासी व्यक्ति को गैर आदिवासी दर्शाते हुए अवैधानिक रूप से क्रय करने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले की जाँच अभी पूरी हो नहीं पायी है कि एक और शिकायत उनके विरुद्ध रायगढ़ जिला कलेक्टर कार्यालय में की गयी है। इस बार आरोप य़ह है कि उन्होंने शासकीय आवंटन की गई भूमि को तत्कालीन पटवारी एवं अन्य राजस्व अधिकारियों से सांठगांठ कर औने-पौने दाम में खरीदकर फिर डायवर्सन करवा के बिक्री उपरांत करोड़ों रुपये का लाभ कमाया है।
आपको बता दें कि 2020-21 में श्रीराम चौरसिया, मन्टू कुमार चौरसिया, बिटू कुमार चौरसिया एवं संजू कुमार ने ग्राम चिराईपानी, पटवारी हल्का क्रमांक 28, तहसील रायगढ़ में स्थित खसरा नंबर 217/2 रकबा 0.793 हेक्टेयर भूमि को व्यवसायिक प्रयोजन हेतु परिवर्तित (डायवर्शन) कराने के लिए छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता की धारा 172 के अंतर्गत आवेदन न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी रायगढ़ के समक्ष प्रस्तुत किया था जिसमें कंडिका 5 में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि “आवेदित भूमि आदिवासी या कोटवारी भूमि या शासकीय कार्य हेतु सुरक्षित रखी हुई भूमि एवं शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न होने वाली भूमि नहीं है “

जबकि यह भूमि पूर्व में शासकीय आवंटन के रूप में प्रदत्त की गई थी। आरोप है कि तत्कालीन पटवारी एवं राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से उक्त भूमि का पंजीयन चौरसिया बंधुओं के नाम कर दिया गया।
यह भी सामने आया है कि उक्त भूमि के साथ-साथ कई अन्य शासकीय एवं आदिवासी भूमि को भी इन्होंने सस्ते दाम पर खरीदकर, डायवर्शन कराकर और पुनः ऊँचे दामों में बेचकर भारी मुनाफा कमाया है। शिकायत में मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।




