भू-माफियाओं का बड़ा घोटाला:- “और मत करिये कार्यवाही आयेंगे नित नए मामले -आदिवासी छले जायेंगे उछाले जायेंगे सिर्फ़ जुमले”.. सिस्टम के करप्शन ने छीना यहां के मूल निवासियों का अधिकार – बाहर से आये चोर बने रायगढ़ में साहूकार..! झारखण्ड निवासी चौरसिया परिवार ने कर दिया ऐसा फर्जीवाड़ा – किस्सा सुन भूल जायेंगे लोग जामताड़ा…

#ग्राम लाखा में शासकीय आबंटित आदिवासी भूमि की फर्जी रजिस्ट्री का मामला उजागर, जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग..
#मूल नक्शे में भी की गयी है छेड़छाड़..
#तत्कालीन पटवारी, उप पंजीयक एवं तहसीलदार भी सन्देह के घेरे में…
#बेनामी आदिवासी भूमि क्रय विक्रय तो पहले भी होता आया है इस बार सीधे तौर पर दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर आदिवासी को गैर आदिवासी बनाते हुए श्रीराम चौरसिया, संजु कुमार चौरसिया, बिट्टू कुमार चौरसिया, मंटू कुमार चौरसिया के नाम रजिस्ट्री बयनामा निष्पादित किया गया है..
रायगढ़, 16 जुलाई 2025 ।रायगढ़ जिले के ग्राम लाखा में आदिवासी जमीन के फर्जीवाड़े का एक गंभीर मामला सामने आया है। ग्राम गेरवानी निवासी कौशल मेहर ने जिलाधीश रायगढ़ को 14 जुलाई 2025 को एक शिकायत पत्र सौंपकर आरोप लगाया है कि खसरा नंबर 13/8, रकबा 0.809 हेक्टेयर आदिवासी भूमि की रजिस्ट्री, नियमों को ताक पर रखकर कुछ गैर-आदिवासी व्यक्तियों के नाम पर कर दी गई है।
शिकायतकर्ता के अनुसार, यह भूमि महंगु भुईहर पिता धसिया भुईहर के नाम दर्ज थी, जो अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) वर्ग से आते हैं। लेकिन दिनांक 20 नवंबर 2023 को रायगढ़ उप-पंजीयक कार्यालय में प्रस्तुत दस्तावेज में महंगु भुईहर के आधार कार्ड में छेड़छाड़ कर ‘भुईहर’ शब्द हटाकर उन्हें ‘घसिया’ जाति का दर्शाया गया। इस आधार पर उक्त भूमि की रजिस्ट्री पांच गैर-आदिवासी व्यक्तियों—श्रीराम चौरसिया, संजु कुमार चौरसिया, बिट्टू कुमार चौरसिया, मंटू कुमार चौरसिया निवासी झारखंड( हाल मुकाम रायगढ़ ) एवं दविंदर सिंह (जमशेदपुर निवासी)—के नाम पर कर दी गई।
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि हल्का पटवारी द्वारा नक्शे में हेराफेरी कर खसरा 13/8 को वास्तविक स्थिति से हटाकर सड़क पर दिखाया गया, जिससे खरीदारों को और अधिक लाभ पहुंचे। यह पूरा ही मामला संदेहास्पद है, जिसमें राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
कौशल मेहर ने इस फर्जीवाड़े की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि जिले में इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां आदिवासी और गरीब वर्ग के लोगों की जमीन को फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से छीना जा रहा है।
जिले में आदिवासी जमीन की सुरक्षा पर उठे सवाल:-
इस प्रकरण ने न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि आदिवासी समुदाय की भूमि सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता भी जताई जा रही है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता दिखाता है।