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कोंदा भैरा के गोठ- व्यंग्यकार सुशील भोले…

अब छत्तीसगढ़ी भाखा के सोर ह चारों मुड़ा ले मिल जाथे जी भैरा.
-हव जी कोंदा.. जब ले वैज्ञानिक आविष्कार के चलत इंटरनेट के माध्यम ले सोशलमीडिया शुरू होय हे, तब ले छत्तीसगढ़ी ह पॉंखी लगा के अगास म उड़ियावत हे.. सिरतोन संगी ए ह वरदान बरोबर होगे हे.
-हव भई.. हमर एक चिन्हार के मनखे अमेरिका म रहिथे, वो ह तोर छत्तीसगढ़ी कविता अउ लेख मनला उहाँ पढ़े हौं काहत रिहिसे.

  • अरे… अमेरिकच भर म नहीं संगी.. अब तो पूरा दुनिया के ओनहा-कोनहा म बसे लोगन छत्तीसगढ़ी भाखा ल पढ़त, सुनत अउ देखत हें. वो मन विदेशी धरती म बइठ के छत्तीसगढ़ी के बगराव अउ बढ़वार बर समिति घलो बना डारे हें. दुनिया भर के चोबीस ले आगर देश म रहइया छत्तीसगढ़िया मन वो संगठन संग जुड़े हें.
    -हव जी अइसने बानी के सोर तो मोरो तीर अमरे हे.. वोमन बतावत रिहिन हें- छत्तीसगढ़ी भाखा-साहित्य के अब अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन होही.

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