पंजाब से लेकर दिल्ली-UP तक क्यों हो रही तबाही वाली बारिश, क्या कह रहा मौसम विभाग

नई दिल्ली. भारत के उत्तरी हिस्से में आमतौर पर बारिश सामान्य ही होती है। बीते कुछ सालों में तो कई बार यह बारिश औसत से कम ही रह जाती थी, लेकिन इस साल बारिश ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। 2001 के बाद पहली बार पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में इतनी भारी बारिश हो रही है। हालात यह हैं कि पंजाब को आपदाग्रस्त घोषित कर दिया गया है। करीब 1000 गांव डूब गए हैं और लाखों लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा है। यमुना में जलस्तर इतना बढ़ गया है कि दिल्ली में अलर्ट है। इसके अलावा सतलुज, चिनाब और रावी नदियों ने तो भारतीय हिस्से के पंजाब से लेकर पाकिस्तान तक में तबाही मचा रखी है।
अब सवाल है कि आखिर इतनी बारिश इस क्षेत्र में क्यों हो रही है। इसका जवाब मौसम विज्ञानियों ने विस्तार से दिया है। मौसम विभाग का कहना है कि बंगाल की खाड़ी पर बने कम दबाव क्षेत्र तथा चक्रवातीय परिसंचरण हवा व नमी को ऊपर उठाते हैं, जिससे भारी बारिश होती है। अगस्त माह के दूसरे हिस्से में ऐसे चार सिस्टम सक्रिय रहे। उसका ही असर अब तक जारी है। यही नहीं अनुमान है कि 10 सितंबर तक भारी वर्षा का दौर जारी रह सकता है। इसके अलावा मॉनसून सीजन के दौरान कम दबाव वाला क्षेत्र अकसर लंबी दूरी तक बनता है। इसे मौसम विज्ञान की भाषा में मॉनसूनी ट्रफ कहा जाता है।
इसमें हवा का एंटी-क्लॉकवाइज मूवमेंट बंगाल की खाड़ी से लेकर उत्तर-पश्चिम राज्यों तक देखा गया। इसी के चलते भारी वर्षा चल रही है। एक चीज और रही है, पश्चिमी विक्षोभ। आमतौर पर जुलाई-अगस्त जैसे मॉनसूनी महीनों पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय नहीं होते। लेकिन अगस्त 2025 अपवाद रहा। इस महीने पांच पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रहे, जबकि यह औसत डेढ़ का ही रहा है। उच्च स्तर पर ईरान क्षेत्र के आसपास स्थिर हवाओं ने इन विक्षोभों को दक्षिण दिशा यानी भारत की ओर धकेला जिससे जम्मू-कश्मीर समेत आसपास के क्षेत्रों मे तेज़ बरसात हुई।
यही नहीं मौसम विभाग का कहना है कि सितंबर महीने में भी बारिश औसत से अधिक रहेगी। खासकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली-NCR एवं राजस्थान जैसे इलाक़े अगले कुछ दिनों तक लगातार तेज़ बरसात झेल सकते हैं। इससे भूस्खलन और बाढ़ जैसी घटनाओं का खतरा बना रहेगा। देशभर मे अबतक मॉनसून सीजन मे कुल मिलाकर लगभग 6% ज्यादा बारिश हुई, जबकि पूर्वी हिस्से सूखे रहे। आमतौर पर पूर्वी भारत में अच्छी बारिश होती रही है, लेकिन इस बार उलटा हुआ है। उत्तर-पश्चिम हिस्सा सबसे ज़्यादा प्रभावित रहा, जहां 27% अतिरिक्त वर्षा अब तक दर्ज की जा चुकी है। इसमें और अधिक इजाफे की संभावना है।




