प्रादेशिक समाचार

मिलावट खोर-मुनाफाखोरो की बल्ले बल्ले…!!सरकार के इस फ़ैसले ने उपभोक्ताओं की बढ़ाई चिंता .!

लाइसेंस प्रणाली खत्म

शुद्धता पर सवाल..?

पेट्रोल में एथेनाल की अधिक मिलावट से हो सकती है मुनाफाखोरी…!

पहले ही से सरकार ने तेल कंपनियों को पेट्रोल में 10 प्रतिशत तक एथेनाल मिलाने की अनुमति दी है, जिसे  बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।इसका अनुचित लाभ उठाकर पेट्रोल कंपनी या पंप संचालकों अभी से और अधिक मिलावट कर अतिरिक्त लाभ कमा सकते हैं…

रायपुरः। केंद्र सरकार के आदेश के तहत कई राज्यों ने पेट्रोल पंपों को खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के नियंत्रण से मुक्त कर दिया है। इससे अब इन पंपों पर कितनी मात्रा में पेट्रोल-डीजल आता है, कितना बिकता है, क्या वह शुद्ध है या मिलावटी, माप व मूल्य सही है या नहीं, इन सवालों की कोई जवाबदेही नहीं रह गई है।पर्यावरण की दृष्टि से यह निर्णय उचित है, लेकिन इससे मुनाफाखोरी की गुंजाइश भी बढ़ गई है। एथेनाल की कीमत लगभग 58 रुपये प्रति लीटर है, जबकि पेट्रोल 100 रुपये के करीब बिक रहा है। ऐसे में 10% पेट्रोल हटाकर उसकी जगह एथेनाल मिलाने पर कंपनियों या पंप संचालकों को प्रति लीटर 4.20 रुपये तक का अतिरिक्त लाभ हो सकता है।

आशंका जतायी जा रही है कि…

यदि इस प्रक्रिया की निगरानी नहीं हुई, तो मिलावट सुनियोजित तरीके से कर मुनाफा कमाया जा सकता है, जिससे उपभोक्ताओं को आर्थिक नुकसान और वाहन इंजनों को तकनीकी नुकसान हो सकता है।

आवश्यक वस्तु की सूची में पेट्रोल:

आपको बता दें कि पेट्रोल और डीजल अब भी सरकार की आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल हैं। ऐसे में इनकी गुणवत्ता और आपूर्ति तय करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी बनती है, लेकिन नियंत्रण से मुक्त किए जाने के बाद अब यह स्पष्ट नहीं है कि मिलावट या शिकायत की स्थिति में कौन जवाबदेह होगा। जनता चाहे भी तो किसी भी प्रशासनिक एजेंसी में शिकायत नहीं कर सकती।

उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए सजग संगठनों की चिंता:

उपभोक्ता अधिकार संगठनों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सरकार यदि व्यापारिक उदारीकरण चाहती है, तो वह अच्छी बात है, लेकिन आम जनता को बिना निगरानी सिस्टम के हवाले करना उचित नहीं है। मिलावटी ईंधन और अधिक दाम पर विक्री से उपभोक्ताओं नुकसान ही होगा। अब जब पेट्रोल पंप सरकारी नियंत्रण से बाहर हैं तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा सरकार उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए कौन-सी वैकल्पिक निगरानी व्यवस्था लागू करती है।

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