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छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, दिल्ली का कमाल…सरकार का भरा खजाना

GST के क्षेत्र में अच्छी खबर है. मार्च में ग्रॉस GST संग्रह 9.9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1.96 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो कि अब तक का दूसरा सबसे बड़ा संग्रह(GST Collection) है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, घरेलू लेनदेन से GST राजस्व 8.8 प्रतिशत बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि आयातित वस्तुओं से प्राप्त राजस्व 13.56 प्रतिशत बढ़कर 46,919 करोड़ रुपये हो गया. सकल संग्रह में केंद्रीय जीएसटी का हिस्सा 38,145 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी का 49,891 करोड़ रुपये और एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) का 95,853 करोड़ रुपये है. मार्च में उपकर संग्रह 12,253 करोड़ रुपये रहा, और कुल रिफंड 41 प्रतिशत बढ़कर 19,615 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.

रिफंड समायोजित करने के बाद, मार्च 2025 में शुद्ध GST राजस्व 1.76 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. अप्रैल 2024 में जीएसटी संग्रह 2.10 लाख करोड़ रुपये के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. डेलॉयट इंडिया के साझेदार एम एस मणि ने बताया कि मार्च के लिए सकल जीएसटी संग्रह में 9.9 प्रतिशत की वृद्धि व्यवसायों द्वारा वर्ष के अंत में बिक्री को बढ़ावा देने का परिणाम है. उन्होंने यह भी कहा कि यह देखना उत्साहजनक है कि यह केवल एक बार की घटना नहीं है, क्योंकि जीएसटी संग्रह में हर महीने लगातार वृद्धि हो रही है, जो वार्षिक सकल जीएसटी संग्रह में 9.4 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है.

अप्रैल से मार्च के बीच का सकल जीएसटी संग्रह 22.08 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 9.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. मणि ने बताया कि प्रमुख विनिर्माण और उपभोक्ता राज्यों में जीएसटी संग्रह की वृद्धि दर में काफी भिन्नता देखी गई है. महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों ने 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की है, जबकि गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में वृद्धि एक प्रतिशत से लेकर सात प्रतिशत के बीच रही है, जो मार्च महीने के लिए असामान्य है. इन राज्यों में क्षेत्रीय वृद्धि और अनुपालन दरों का विश्लेषण करके इसके कारणों को समझना आवश्यक है.

केपीएमजी इंडिया के साझेदार और अप्रत्यक्ष कर के प्रमुख अभिषेक जैन ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में कर संग्रह में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि आर्थिक स्थिरता और कंपनियों के मजबूत कर अनुपालन का संकेत है. जैन ने यह भी कहा कि वित्त वर्ष के अंत में समायोजन और समाधान की प्रक्रिया जारी रहने के कारण, हम अगले संग्रह में मासिक वृद्धि में और सुधार की उम्मीद कर सकते हैं.

सरकार का जीएसटी संग्रह जनवरी 2024 में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 12.3 प्रतिशत बढ़ा. इस महीने केंद्रीय जीएसटी संग्रह 36,100 करोड़ रुपये और राज्य जीएसटी संग्रह 44,900 करोड़ रुपये रहा. दिसंबर 2023 में जीएसटी संग्रह 1.76 लाख करोड़ रुपये था, जो वार्षिक आधार पर 7.3 प्रतिशत अधिक था. जनवरी का यह आंकड़ा अब तक के सबसे उच्चतम जीएसटी संग्रह से थोड़ा कम है, जबकि अप्रैल 2024 में यह 2 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया था.

भारत में पहली जुलाई 2017 को पुरानी अप्रत्‍यक्ष कर प्रणाली के स्थान पर वस्‍तु एवं सेवा कर (GST) लागू किया गया. इसे स्वतंत्रता के बाद का सबसे महत्वपूर्ण कर सुधार माना जाता है. केंद्र सरकार के अनुसार, जीएसटी के लागू होने से आज से सात वर्ष पूर्व, देशवासियों पर कर का बोझ कम करने में सहायता मिली है.

जीएसटी का पूरा नाम गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स है. इसके लागू होने के बाद विभिन्न प्रकार के करों को समाप्त कर दिया गया. इसमें दो श्रेणियों के कर शामिल हैं: डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स. पहले राज्यों और केंद्र सरकार के कर अलग-अलग होते थे, लेकिन जीएसटी के आगमन से इन्हें एकीकृत कर दिया गया है.

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