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कोंदा भैरा के गोठ… व्यंग्यकार- सुशील भोले

-ऋषि पंचमी

जोहार जी भैरा.. अब तो आज के जमाना म द्रोणाचार्य जइसन गुरु देखे-सुने म घलो नइ आवय जी संगी.

  • जोहार जी कोंदा.. अब के चेला मन घलो तो अर्जुन बरोबर समर्पित अउ सेवाभावी तो नइ मिलय जी संगी.. आधुनिक गुरुकुल म जतका आथें सब दुर्योधन असन सिरिफ सत्ता प्रेमी मन ही आथें.
    -त अब के लइका मनला सार्थक अउ सही मायने म आदर्श शिक्षा पाए बर का करना चाही?
    -अब तो एके ऊपाय हे संगी- एकलव्य के परंपरा म आगू बढ़ के जिहां-जिहां ले सार अउ सार्थक ज्ञान मिलथे वो मनला खुदे होके बटोरे अउ आत्मसात करे जाना चाही.
    -फेर हर मनखे के जीवन म एक गुरु के होना तो जरूरी होथे कहिथें ना?
    -हाँ.. अध्यात्म म विधिवत एक गुरु बनाय के जरूरत तो होथे, फेर ज्ञान के मामला म सिरिफ वोकरे ऊपर ही आश्रित नइ रहि के जिहां-जिहां ले ज्ञान अउ आशीर्वाद मिलथे सबोच ल अपना लेना चाही.

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