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अमरनाथ यात्रा से पहले किश्तवाड़ में एनकाउंटर, सुरक्षा बलों को देखकर आतंकवादियों ने चलाई ताबड़तोड़ गोलियां

किश्तवाड़: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के घने जंगल वाले इलाके में बुधवार को आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

 

उन्होंने बताया कि मुठभेड़ उस समय शुरू हुई, जब पुलिस ने सेना और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सहायता से आतंकवादियों की मौजूदगी की विशेष सूचना मिलने के बाद चटरू के कुचल इलाके में देर शाम 7:45 बजे तलाश और घेराबंदी अभियान शुरू किया.

 

अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों को देखकर आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद मुठभेड़ हुई. अधिकारियों ने बताया कि इलाके की घेराबंदी करने और आतंकवादियों को मार गिराने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजे गए हैं. माना जा रहा है कि आतंकवादियों की संख्या दो से तीन है और वे पाकिस्तानी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े हुए हैं.

 

सेना की जम्मू स्थित ‘व्हाइट नाइट कोर’ ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “विशिष्ट खुफिया सूचना के आधार पर किश्तवाड़ के कंजल मांडू में एक संयुक्त तलाश अभियान चलाया जा रहा है.”

 

इससे पहले, इस वर्ष अप्रैल और मई में चटरू क्षेत्र में दो अलग-अलग मुठभेड़ों में तीन आतंकवादी मारे गए थे और एक सैनिक शहीद हो गया था. नवीनतम मुठभेड़ उधमपुर जिले के बसंतगढ़ के सुदूर बिहाली इलाके में सुरक्षा बलों द्वारा मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी के मारे जाने के सप्ताह भर बाद हुई है.

 

अमरनाथ यात्रा को लेकर महिला सुरक्षाकर्मियों सहित बीएसएफ जवानों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बढ़ाई सुरक्षा

बता दें कि, भीषण गर्मी, उमस व दुश्मन की चालों के खतरे से बेपरवाह वर्दी पहने और एके राइफल से लैस महिला सुरक्षाकर्मी जम्मू सीमांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रख रही हैं.

 

तीन जुलाई से शुरू होने वाली वार्षिक अमरनाथ यात्रा से पहले अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. तीन जुलाई से 38 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा दो मार्गों से होकर गुजरती है, जिनमें से एक अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा पहलगाम मार्ग है, वहीं दूसरा गांदरबल जिले का 14 किलोमीटर लंबा बालटाल मार्ग, जो छोटा लेकिन खड़ी चढ़ाई वाला रास्ता है.

 

ये दोनों रास्ते 3,880 मीटर ऊंचे अमरनाथ गुफा मंदिर तक जाते है. यात्रा शुरू होने से एक दिन पहले तीर्थयात्रियों का पहला जत्था जम्मू स्थित भगवती नगर आधार शिवर से कश्मीर के लिए रवाना होगा।

 

बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट पहने दुनिया के सबसे बड़े सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की महिला सैनिक सीमा पर गश्त लगाती हैं, निगरानी उपकरणों के साथ सीमा रेखा की निगरानी करती हैं और जम्मू, सांबा व कठुआ जिलों में एक उन्नत बहु-स्तरीय सुरक्षा ग्रिड के हिस्से के रूप में अपने पुरुष समकक्षों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दिन-रात अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा करती हैं.

 

त्रि-स्तरीय सीमा बाड़बंदी के साथ गश्त कर रहे बीएसएफ के एक जवान ने बताया, “हम सीमा पर उच्च स्तर की सतर्कता बनाए हुए हैं। सीमा पार से किसी भी तरह की शरारत की स्थिति में, मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा.” यह पूछने पर कि मुंहतोड़ जवाब क्या होगा, तो उन्होंने तुरंत जवाब दिया, “गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा.”

 

सातों दिन चौबीसों घंटे गश्त के अलावा बीएसएफ निगरानी उपकरणों, रात के समय अंधेरे में देखने में मदद करने वाले उपकरणों, ‘ग्राउंड सेंसर’ और उच्च क्षमता वाले कैमरों के साथ-साथ इलाके की निगरानी कर रही है. जवानों ने बताया कि वे भारत-पाक सीमा पर होने वाली छोटी-छोटी हरकतों पर भी कड़ी नज़र रखते हैं और दिन-रात सतर्क रहते हैं. वे हमेशा अपनी अभियानगत तत्परता बनाए रखते हैं.

 

इससे पहले, 26 जून को जम्मू कश्मीर में उधमपुर जिले के एक वन्य क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकवादियों को घेर लिया था. इन आतंकवादियों की पिछले एक साल से तलाश की जा रही थी.

 

सेना और पुलिस के एक संयुक्त खोज दल ने जिले में बसंतगढ़ के सुदूर बिहाली इलाके में एक सटीक सूचना के आधार पर तलाश अभियान शुरू किया था, जिसके दौरान मुठभेड़ हुई.

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