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सोमवार को पेश होगी वक्फ संशोधन विधेयक पर गठित जेपीसी की रिपोर्ट

नई दिल्ली : वक्फ (संशोधन) विधेयक की समीक्षा के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट सोमवार को लोकसभा में पेश की जाएगी। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी बुलेटिन में कहा गया है कि समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल और सदस्य संजय जायसवाल सोमवार को लोकसभा में रिपोर्ट पेश करेंगे। समिति ने गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को रिपोर्ट सौंप दी थी।

क्या है प्रावधानों का उद्देश्य

इस रिपोर्ट को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पेश किया जाएगा। रिपोर्ट में उन सभी साक्ष्यों का भी रिकॉर्ड शामिल होगा, जो संयुक्त समिति के समक्ष पेश किए गए थे। यह साक्ष्य विधेयक के प्रावधानों के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए अहम हैं। इनका उद्देश्य विधेयक के प्रभावी और न्यायसंगत कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है।

इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, संचालन और निगरानी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुधार प्रस्तावित किए गए हैं। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के उपयोग में सुधार लाना है। जेपीसी ने विधेयक के बारे में विस्तृत चर्चा की और इस पर विभिन्न पक्षों से साक्ष्य प्राप्त किए। अब यह रिपोर्ट लोकसभा में पेश की जाएगी और आगे की विधायी प्रक्रिया को गति मिलेगी।

बहुमत से रिपोर्ट स्वीकार

समिति ने बुधवार को बहुमत से रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था, जिसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के सदस्यों द्वारा सुझाए गए संशोधन शामिल किये गए थे। इसके बाद विपक्ष ने इस प्रक्रिया को वक्फ बोर्डों को नष्ट करने का प्रयास करार दिया। वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति ने मसौदा कानून पर रिपोर्ट को 15-11 बहुमत से अपनाया।

विपक्षी सदस्यों ने जताई असहमति

विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति जताई। भाजपा सदस्यों ने जोर देकर कहा कि पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की व्यवस्था करता है। दूसरी ओर, विपक्ष ने इसे मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों पर हमला और वक्फ बोर्डों के कामकाज में हस्तक्षेप करार दिया।

ओवैसी ने असहमति नोट हटाने का लगाया आरोप

इससे पहले, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर उनके विस्तृत असहमति नोट को समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने उनकी जानकारी के बिना हटा दिया। समिति के सदस्य ओवैसी ने इस रिपोर्ट पर 231 पन्नों का असहमति नोट दिया था। उन्होंने अध्यक्ष पर रिपोर्ट के संबंध में दिये गये असहमति नोट को बदलने के लिए प्रक्रिया के नियमों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।

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