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1400 सालों से विराजमान है यहां अनोखे गणपति, दर्शन करते ही मिलता है लाभ

गणेश चतुर्थी के साथ ही 10 दिनों के गणेश उत्सव की शुरुआत हो गई है। इस गणेश उत्सव में प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश की पूजा करते है। गणेश उत्सव के दौर में भक्त प्राचीन गणेश मंदिरों में दर्शन करना पसंद करते है। वैसे तो गणेश जी के कई सारे प्राचीन मंदिर है जहां दर्शन करने का महत्व होता है। अगर आप साउथ में है और गणेश उत्सव के दौरान गणपति जी के मंदिरों में दर्शन करना चाहते है तो, उचिप्पिलैयार गणेश मंदिर के दर्शन कर सकते है।

यह सबसे प्राचीन मंदिर है जिसे 1400 साल पहले स्थापित किया गया था। कहते है कि, जो भी भक्त इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आता है भगवान उसकी सारी परेशानियों का हल कर देते है। चलिए जानते है इस मंदिर के बारे में।

कहां पर स्थित है यह अनोखा मंदिर

आपको बताते चलें कि, यह मंदिर तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में स्थि​त है जिसे 1400 साल पहले स्थापित किया गया था। दरअसल यह मंदिर तिरुचिरापल्ली में रॉक फोर्ट के शिखर पर स्थित है,बताया जाता है कि ​यह गणेश मंदिर 7वीं शताब्दी में बना था। इस मंदिर में दर्शन करने आने वाले भक्त को 400 से अधिक सीढ़ियां चढ़कर आनी होती हैं। इसके साथ ही इस मंदिर की उंचाई लगभग 273 फीट की है। इस मंदिर में दर्शन करने आने वाले भक्त को मंदिर के अलावा तिरुचिरापल्ली शहर और कावेरी तट के सुंदर दृश्य भी देखने के लिए मिलते है।

इस मंदिर में गणेश उत्सव केवल 7 दिन का होता है। इस मंदिर की महत्ता इतनी है कि, यहां पर दर्शन करने के लिए देश और दुनियाभर से लोग आते है। गणेश पूजा के लिए पहले से बुकिंग करानी पड़ती है. यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप गणेश चतुर्थी की पूजा से वंचित हो सकते हैं।

जानिए मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

इस मंदिर से जुड़ी स्थापना का उल्लेख मिलता है। बताया जाता है कि, प्रभु श्रीराम का अयोध्या में राज्याभिषेक संपन्न हो गया तो लंका के राजा विभीषण अपने राज्य वापस लौट रहे थे। उस समय उनके हाथ में रंगनाथ जी की एक सुंदर सी मूर्ति थी। बताया जाता है कि, वह मूर्ति वहीं पर स्थापित हो गई थी. यह देखकर विभीषण नाराज हो गए और उस बालक को खोजने लगे। उस दौरान उन्होंने देखा कि वह बालक एक बड़ी सी चट्टान के शिखर पर बैठा है।

उस दौरान गुस्से में विभीषण उस बालक के पास गए और उस पर प्रहार किया तो एक चमत्कार हुआ।वह बालक मंगलमूर्ति गणेश के रूप में वहीं पर स्थापित हो गए, जो उचिप्पिलैयार गणेश के नाम से प्रसिद्ध हुए। इस मंदिर की मान्यता है कि, जो भी भक्त यहां दर्शन के लिए आते है उनके सारे काम सफल होते है।

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