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हाईकोर्ट ने छूट (लिबर्टी) के साथ खारिज की चैतन्य बघेल की याचिका

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आरोपी बनाए गए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल पाई। सोमवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने उनकी याचिका को छूट (लिबर्टी) के साथ खारिज कर दिया। अदालत ने साफ कहा कि यदि चैतन्य को कोई राहत चाहिए तो वे ताजा आवेदन प्रस्तुत करें, जिसमें केवल अपने मामले से संबंधित ही मांगें हों।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े, जबकि एन. हरिहरन और हर्षवर्धन परगानिया ने चैतन्य की ओर से पैरवी की। चैतन्य ने ईओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट की वैधता को चुनौती दी थी। हालांकि राहत नहीं मिलने के बाद उनकी कानूनी टीम मंगलवार को नई याचिका दायर करेगी।

न्यायिक रिमांड पर जेल में
ईडी की कस्टोडियल रिमांड समाप्त होने के बाद 23 अगस्त को चैतन्य बघेल को कोर्ट में पेश किया गया था। अदालत ने उन्हें तीसरी बार 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया। अब इस मामले में अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी।

जन्मदिन पर हुई थी गिरफ्तारी
ईडी ने चैतन्य बघेल को 18 जुलाई को उनके जन्मदिन के दिन भिलाई निवास से धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत गिरफ्तार किया था। आरोप है कि शराब घोटाले से करीब 2,500 करोड़ रुपये की अवैध कमाई (पीओसी) हुई, जिसमें से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपये मिले। जांच में सामने आया कि उन्होंने इस रकम को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश किया और नकद भुगतान व बैंकिंग ट्रेल के जरिए रकम को वैध दिखाने की कोशिश की।

1000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम का प्रबंधन करने का आरोप

ईडी का दावा है कि चैतन्य ने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ मिलकर प्रोजेक्ट्स में फर्जी खरीदी दिखाई और अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए। इसके अलावा, उन पर शराब घोटाले से उपजी 1000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष तक पहुँचाने में भूमिका निभाने का आरोप है।

पहले भी कई गिरफ्तारियां
ईडी इस मामले में पहले ही पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, आईटीएस अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी और विधायक कवासी लखमा को गिरफ्तार कर चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट से भी मिली थी नसीहत
इससे पहले चैतन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें गिरफ्तारी और हिरासत को गैरकानूनी बताया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी। इसके बाद बिलासपुर हाईकोर्ट ने 12 अगस्त को ईडी को नोटिस जारी कर 26 अगस्त तक जवाब मांगा है।

चैतन्य के वकील ने अदालत को यह भी बताया कि जेल में उन्हें साफ पानी तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा। इस पर कोर्ट ने जेल अधीक्षक को निर्देश दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।

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