छत्तीसगढ़प्रादेशिक समाचार

हरे पेड़ के काष्ठ से निकलते धुंएँ का काला भट्टा

रायपुर. वन मंडल रायपुर के अंतर्गत क्षेत्र भर मे बाबुल, कहुवा, बेर, अर्जुन सहित अनेक मिश्रित प्रजाति के परिपक्व हरे भरे पेड़ पौधों का विनाश काष्ठ तस्करों द्वारा धड़ल्ले से किया जा रहा है तथा ऐसे परिपक्व इमारती कष्ठों का उपयोग किसी फार्निचर या जन उपयोगी सामाग्री निर्माण के लिए नही बल्कि कुछ निजी आर्थिक लाभ उठाने के लिए उपयोग किया जा रहा है क्षेत्र मे जलाऊ चट्टा के नाम पर बेचे जाने वाले आड़े तिरछे लकड़ी की आड़ मे परिपक्व बड़े बोल्ड काष्ठों को धुँवा धूसरित कर काले कोयला के भट्टे मे झोंक दिया जा रहा है इसके एवज मे दो चार हजार रुपये देकर पानी के मोल कौडियों मे ट्रैक्टर से भरे काष्ठों का निर्बाध गति से परिवहन हो रहा है मजे की बात यह है कि रायपुर वन मंडल क्षेत्र मे लगभग आधा दर्जन भट्टे अवैध रूप से संचालित हो रहे है मगर रायपुर वन मंडल के अधिकारी, कर्मचारी मौन रूप धारण कर आँख बंद कर तमाशा देख रहे है जिसकी वजह से रायपुर वन मंडल अंतर्गत काष्ठ तस्करों द्वारा हरे भरे पेडों का लगातार विरलन कर धुंआ उगलते काले कोयला भट्टी का यह अवैध कारोबार बड़ी तेजी से क्षेत्र मे फल फूल रहा है
इस संदर्भ मे फॉरेस्ट क्रइम न्यूज़ ने रायपुर क्षेत्र मे चार से छ स्थानों पर कोयला भट्टी मे जाकर पडताल किया गया जहा आसपास ग्रामीणों से ज्ञात करने पर कुछ लोगों से जानकारी ली तब बताया गया कि कोयला भट्टा संचालको ने अब तक किसी प्रकार का वन विभाग से लाइसेंस नही लिया गया है और न ही लगातार निकलते लकड़ी के धुआँ के गुबार की रोक थाम के लिए पर्यावरण विभाग से कोई एनओसी नही लिया गया यही नही अवैध रुप से काष्ठों का लेखा जोखा भी नही है क्योंकि क्षेत्र से काष्ठ तस्करों द्वारा सैकड़ों ट्रैक्टर ट्राली अवैध काष्ठों का परिवहन बदस्तुर् जारी है मगर उनके पास भी कटाई का कोई लाइसेंस अथवा वन विभाग से टी. पी. जारी नही किया गया तब ऐसी परिस्थिति मे टनों से ट्रैक्टर ट्राली से अवैध काष्ठ का परिवहन कोयला भट्टी मे कहाँ से पहुँच रहा है और लगातार रात दिन सभी मिश्रित प्रजाति के काष्ठ स्वाहा कैसे किया जा रहा है इस संदर्भ मे बताया जाता है कि कोयला निर्माण पश्चात ईधन के रूप मे किलो कि दर पर स्थानीय बाजार सहित अन्य क्षेत्र मे विक्रय किया जाता है जिसकी आया लाखों मे बताई गई है जबकि बताते है कि कोयला व्यवसायी काष्ठ माफियाओं से सांठ गांठ कर कम दर पर जलाऊ चट्टा और परिपक्व बट्टा के मिले जूले काष्ठ कि तस्करी कर भट्टी मे कोयला निर्माण कर लाखों रुपये का व्यवसाय कर रहे है तथा वन क्षेत्रों का दोहन कर वन विभाग के राजस्व की क्षति पहुंच कर वनों को खोखला कर रहे है ग्राम फरफौद, सेजा, बोहरही मेला, तिल्दा,बैकुठ, सहित बहुत से क्षेत्र मे बगैर वन विभाग से लाइसेंस, और पर्यावरण विभाग से एन ओ सी लिए बगैर काटे गए लकड़ी पहुंचकर अवैध कोयला भट्टा संचालित हो रहा है इसके अवैध कोयला संचालन के पीछे वही कुछ भट्टा व्यपारी रसुख दारों से सेवाएं ले रहे है जिनमे आसपास के सफेद पोश छुट भैय्या नेता, विभाग के कर्मी और चैनल के पत्रकार से मिल कर उनका परिचय होने की बात बता कर पहुँच बता रहे है एक प्रकार से उनके संरक्षण मे गोरे लोगो का काला धंधे का व्यापार चल रहा है .
बताते चले कि राज्य शासन लाखों करोड़ों रुपये कि लागत लगा कर प्रदेश को हरा भरा बनाने प्लांटेशान करता है ताकि हरियाली बढ़ा कर प्रदूषण से लोगों को राहत दे परंतु ऐसे हरित क्रति के दुश्मन अपने निजी अर्थ व्यवस्था का लाभ उठाने हरियाली को नेस्त नाबूत करने तुले हुए है ऐसे मे प्रदेश मे हरियाली की परिकल्पना करना भी बेमायनी होगी

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