
मुंबई: महाराष्ट्र और तेलंगाना की सीमा पर बसे 14 गांवों का वर्षों से लंबित मामला अब सुलझने की कगार पर है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं और इस फैसले से सीमावर्ती क्षेत्र के नागरिकों को बड़ी राहत मिलने की संभावना है। इन गांवों को चंद्रपुर जिले में शामिल करने के लिए प्रशासनिक पहल शुरू हो गई है।
विधान भवन में राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के कक्ष में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। बैठक में विधायक देवराज भोंगले, जिवती तालुका के 14 विवादित गांवों के ग्रामीण और चंद्रपुर ज़िला कलेक्टर विनय गौड़ा शामिल हुए। ग्रामीणों ने अपनी समस्याएं सीधे मंत्री के सामने रखीं।
बैठक में न केवल इन 14 गांवों को शामिल करने, बल्कि राजुरा और जिवती तालुका के अन्य लंबित मुद्दों पर भी चर्चा की गई। राजस्व मंत्री बावनकुले ने संबंधित अधिकारियों को इन मुद्दों का तुरंत समाधान करने के निर्देश दिए। इस बैठक के निर्णय से संकेत मिल रहे हैं कि वर्षों से लंबित सीमा विवाद अब सुलझ रहा है और प्रशासनिक स्तर पर आगे की कार्रवाई शीघ्र ही शुरू होने की उम्मीद है। इस निर्णय से सीमावर्ती क्षेत्र के नागरिकों में संतोष का माहौल है।
बता दें कि महाराष्ट्र-तेलंगाना सीमा विवाद, विशेष रूप से चंद्रपुर जिले के कुछ गांवों को लेकर, एक पुराना मुद्दा है। यह विवाद 1969 में शुरू हुआ जब सीमा का सीमांकन किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप कुछ परिवारों के घर दो राज्यों में विभाजित हो गए, जैसे कि पवार परिवार का घर, जिसका आधा हिस्सा महाराष्ट्र में और आधा तेलंगाना में है। कुछ लोग 2 राज्यों की नागरिकता के फंदे में कई सालों से फंसे हुए थे।सीमा क्षेत्र के 14 गांवों में विवाद के बाद, 2387 हेक्टेयर भूमि की गणना 15 सितंबर, 2022 को शुरू हुई थी। 429 हेक्टेयर भूमि की गणना 19 मई, 2023 तक पूरी हो गई। जिवती तालुका में कुल 83 राजस्व गांव हैं। इनमें से केवल 73 गांवों के रिकॉर्ड ही राजस्व विभाग और भूमि अभिलेख कार्यालय के पास उपलब्ध हैं। अब आधिकारिक फैसला होने के बाद उचित कारवाई की जाएगी।