साहित्यकार एवं शिक्षाविद् बंशीलाल जोशी नहीं रहे ..छत्तीसगढ़ साहित्य जगत में शोक की लहर.

राजनादगांव।संस्कारधानी राजनांदगांव के वरिष्ठ साहित्यकार और सेवानिवृत्त शिक्षक बंशी लाल जोशी ( सिंघोला) का 8 जनवरी निधन हो गया ।वे 84 वर्ष के थे.।जोशी ने हिंदी और छत्तीसगढ़ी में रचनाएं की है। कविता के साथ ही गद्य में कलम चलाये है।उनका अंतिम संस्कार 8 जनवरी को सिंघोला के मुक्तिधाम में किया गया. उनके पुत्र दिनेश जोशी ने उन्हें मुखाग्नि दी. शोक सभा में प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार डा. दादू लाल जोशी फरहद, कमला कालेज के प्रोफेसर जी. पी. रात्रे, दक्षिण कौशल के संपादक,
शिव प्रसाद जोशी शिक्षक व समाजसेवी, ठाकुर जी, और साकेत साहित्य परिषद सुरगी के पूर्व अध्यक्ष ओमप्रकाश साहू “अंकुर “ने कहा कि जोशी का निधन एक अपूर्णीय क्षति है। वक्ताओं ने शिक्षा,समाज , साहित्य के क्षेत्र में जोशी जी के योगदान को याद किया. वक्ताओं ने कहा कि जोशी जी बहुत सरल, सहज एवं सरस व्यकत्व के धनी थे। उसको कभी नाराज या क्रोध होते नहीं देखा. समाज और साहित्य के क्षेत्र में वे सदैव सहयोग हेतु तत्पर रहते थे । खेती -किसानी से भी बहुत लगाव था। 84 वर्ष की उम्र में भी वे समाज, शिक्षा, साहित्य और कृषि क्षेत्र में सक्रिय रहे।
बंशी लाल जोशी का जन्म मां भानेश्वरी धाम सिंघोला में 15 अगस्त 1940 को हुआ था। उनके पिता का नाम नाथू दास जोशी और माता का नाम जीरा बाई जोशी था. बिसरी बाई जोशी से उनका विवाह।
उनकी पढ़ाई इंटरमीडियेट तक थी। आदिम जाति कल्याण विभाग में उन्होंने शिक्षकीय दायित्व का बखूबी निर्वहन किया । उन्होंने अपने पुत्र दिनेश जोशी और दो पुत्रियों को संस्कार देने के साथ ही खूब पढ़ाया-लिखाया। उनके पुत्र भिलाई इस्पात संयंत्र में अधिकारी रहकर सेवानिवृत्त हुए है. दोनों पुत्रियां शिक्षिका है।
जोशी जी शिक्षा विभाग से सेवानिवृत होने के बाद पूरी तरह साहित्य एवं समाज सेवा में लीन हो गए। उनकी प्रकाशित कृतियां की बात करें तो जोशी जी ने 1998 में अपने संपादन में “डा. दादू लाल जोशी फरहद का सामाजिक चिंतन “प्रकाशित कराया था.
जोशी जी के काव्य संग्रह “शब्द नहीं भाव ” 2008,संपादित कृति ” सूर्य कहूं या दीप”2002, साहित्य जगत में अत्यंत प्रशंसित हुई. समाज के मूर्धन्य लोगों के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर आधारित पुस्तकों का लेखन एवं प्रकाशन की योजना थी.उनकी रचनाएं दैनिक सबेरा संकेत,दावा, सत्यध्वज, साकेत स्मारिका में निरंतर प्रकाशित होती रही. विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं और समाज के कार्यक्रमों में वे सक्रियता से भाग लेते थे
उनके निधन से समाज, शिक्षा व साहित्य बिरादरी में शोक व्याप्त है. श्रद्धेय जोशी जी को शत् शत् नमन है. उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताते हुए , विचार विन्यास राजनांदगांव,साकेत साहित्य परिषद सुरगी, छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति राजनांदगांव, शिवनाथ साहित्य धारा डोंगरगांव, पुरवाही साहित्य समिति पाटेकोहरा छुरिया, राष्ट्रीय कवि संगम जिला ईकाई राजनांदगांव ने श्रद्धांजलि अर्पित की है.🙏🏻🙏🏻💐💐