छत्तीसगढ़जिलाप्रादेशिक समाचार

समाजिक पदधिकारी बिना तलाक से दूसरी शादी न कराये, कानूनी तलाक की सलाह दें

आयोग की समझाईश पर पत्नी और बच्चों को पति देगा 15 हजार रू. प्रति माह भरण-पोषण ।

समाजिक बहिष्कार कानूनन अपराध है।

रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमंदी नायक ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता आज 225 वीं व जिला स्तर पर 104 की सुनवाई हुई। रायपुर जिले में आयोजित जनसुनवाई में कुल 25 प्रकरण में सुनवाई की गई।

आज के प्रकरण में आवेदिका जो कि एक शिक्षिका है अभी मातृत्व अवकाश पर है जिसने 13 सितंबर को बच्चे को जन्म दिया। आज की सुनवाई में आवेदिका के पति उपस्थित व अनावेदक जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से सहायक संचालक एवं एकाउंटेंट उपस्थित थे। अनावेदकगणों ने कहा कि आवेदिका को अनापत्ति प्रमाण पत्र (N.O.C) प्रस्तुत करना होगा। यदि आवेदिका प्रस्तुत करती है तो उसे कार्य मुक्त किया जा सकेगा। आवेदिका की ओर से अपनी औपचारिकता पूर्ण कर आयोग को सूचित करेगी तत्पश्चात् आयोग अंतिम फैसला करेगी।

एक अन्य प्रकरण में पूर्व सुनवाई में दोनों पक्षों के बीच आयोग की समझाईश की वजह से पूर्व में सुलह हो चुकी है आयोग की समझाईश पर अनावेदक ने कहा कि बैंक से ऋण लेने की वजह से फिलहाल अपने पत्नि को 15 हजार रूपये प्रति माह भरण-पोषण देना स्वीकार किया और ऋण खत्म होने के पश्चात 20 हजार रु. प्रति माह देगा। यदि आवेदिका का पति दूसरी महिला से दुबारा मिला या बात की तो दूसरी महिला को नारी निकेतन भेजा जायेगा तथा अनावेदक पति पर कानूनी कार्यवाही किया जायेगा। दोनों पक्षों में सुलह हो चुकी है व प्रकरण को निगरानी में रखा गया। इस आदेश के साथ प्रकरण समाप्त किया गया।

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने दहेज का प्रकरण आयोग में दर्ज कराया था। दोनों पक्षों को सुना गया। अनावेदक पक्ष सुलहनामा के लिए तैयार है व अपने खर्च पर आवेदिका की डिलीवरी कराने के लिए भी तैयार है। पर आवेदिका अपने पति के साथ जाने के लिए तैयार नहीं है। अनावेदक को समझाइश दिया गया कि डिलीवरी तक वह आवेदिका के घर जाकर उसकी देखभाल करे व बीच-बीच में जाकर रहे दो माह बाद आवेदिका व बच्चों को अपने साथ लेकर जाए। इस आदेश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों को सुना गया आवेदिका पक्ष को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है और आवेदिका से दंड की मांग की जा रही है। अनावेदक पक्ष इस बात को मानने से इंकार कर रहे है और आवेदिका पक्ष को समाज में मिलाने के लिए तैयार है। अनावेदकगणों को 15 दिन का समय दिया गया कि वे गांव में सामाजिक बैठक कर समाज में आवेदिका पक्ष को मिलाकर उसकी सूचना दोनो पक्ष आयोग में प्रस्तुत करें।

अन्य प्रकरण में दोनों पक्ष को समझाइश दिये जाने पर भी साथ रहने तैयार नहीं है अनावेदक को कहा गया की अपने बच्चे के लिए प्रति माह 1500 रू. देगा और आवेदिका को सलाह दी गई कि वह तलाक की प्रक्रिया करा सकती है। आयोग से प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में 14 वर्ष से कम उम्र की बालिका द्वारा आवेदन प्राप्त हुआ था कि अनावेदक पिता द्वारा नाबालिग बेटी व उसकी माता को मारपीट कर घर से निकाल दिया गया था जिसमे आयोग द्वारा प्रकरण को बाल संरक्षण आयोग को सौपा गया ताकि बालिका को न्याय मिल सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button