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सफलता की कहानी : वनांचल के 337 परिवारों की दशा बदलने में मददगार बना संदर्भ केन्द्र

धमतरी । वनांचल क्षेत्र के 337 परिवारों की दशा बदलने एवं उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने में 7 गांवों के ग्रामीणों के लिए संदर्भ केन्द्र मददगार बन गया है। इन सात गांवों के ग्रामीणों ने जंगलों को आग से बचाकर पर्यावरण संरक्षित करने और कोकुन उत्पादन में अपनी सहभागिता निभाई। ग्राम मटियाबाहरा को वर्ष 2021 में 1129.659 हेक्टेयर जंगल का सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त हुआ। अधिकार मिलने के बाद सदस्यों ने इसे आजीविका के रूप में विकसित करने पर विचार किया। जिसमें नियम बनाया गया कि प्रतिमाह अनिवार्य रूप से ग्रामसभा आयोजित बैठक में 50 प्रतिशत से अधिक सदस्या उपस्थित होंगे तथा सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति के 11 सदस्य होंगे। इसी में से अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सचिव नियुक्त किया गया। इसका पाक्षिक बैठक आयोजित करने पर विचार किया गया। ग्राम सभा सदस्यों द्वारा 15 खंडों में 5 साल तक नियम पालन करने और पांच साल पूरा होने के बाद चराई क्षेत्र, जलावन क्षेत्र, संरक्षित क्षेत्र में बदलाव करने का नियम बनाया गया, जिससे जंगल में चारों ओर घनत्व बना रहेगा, जो कम्पार्टमेंट 339, 340, 341 और 345 के अंतर्गत आता है।

ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा हर दिन चार लोग जंगल में अवैध कटाई, अवैध शिकार और आग से बचाने के बारी-बारी से श्रमदान की जरिए रखवाली करने जाते हैं। अब तक यह रख-रखाव प्रक्रिया चल रही है, जिसे स्थानीय भाषा में लोग ठेंगापाली का नाम दिया है। इसके चलते ग्राम भैसामुड़ा, खुदुरपानी, चंदनबाहरा, चारगांव में ठेंगापाली प्रक्रिया चाल रही है और इस साल जंगल में कोकुन का पैदावार खूब बढ़ा है। बता दें कि इस जंगल इससे पहले कभी कोकुन पैदावार नहीं होता था। आग से बचाव के चलते कोकुन का पैदावार बढ़ा, जो ग्रामसभा सदस्यों ने कभी सोचा नहीं था। वनांचल के 7 गांव मटियाबाहरा, भैसामुड़ा, खुदुरपानी, नयापारा चारगांव, पुरानी बस्ती चारगांव, चंदनबाहरा और तुमबाहरा के 337 परिवार को 5 रूपये प्रति कोकुन की दर से 12 लाख 15 हजार 700 रूपये का फायदा हुआ। इसके साथ ही प्रत्येक खंड को जीपीएस से क्षेत्रफल निकाला गया और प्रति हेक्टेयर में एक ग्रीन प्वाईंट तैयार कर सभी खंडों के जंगल के पेड़-पौधों का गणना किया गया। इसमें प्रति हेक्टेयर कितने पेड़ हैं और कितने प्रतिशत कौन-कौन प्रजाति के पेड़ हैं, इन सभी जानकारियों को ग्राम सभा में प्रदर्शित किया गया। इसके बाद ग्राम सभा द्वारा इस भवन को संदर्भ केन्द्र का नाम रखा गया। इस संदर्भ केन्द्र में गांव और जंगल की जानकारी उपलब्ध है।

प्रदेश का पहला प्रयोग धमतरी जिले के वनांचल नगरी विकासखण्ड के वन संसाधन अधिकार वाले गांव मटियाबाहरा में जेएफएमसी (संयुक्त वन प्रबंधन समिति) और मनरेगा की राशि से स्टॉप डेम बनाया गया है। इससे उक्त गांवों के 76 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो रही है । साथ ही जल का संरक्षण में भी अहम् भूमिका निभा रहा है। इस स्टॉप डेम के बन जाने से ग्रामीणों वर्षो पुरानी मांग पूरी हो गयी है। वही किसानो, ग्रामीणों को सिचाई और निस्तारी की भी सुविधा मिल रही है। संयुक्त वन प्रबंधन समिति के सदस्य श्री भानुराम नेताम और सचिव श्री राधेश्याम नेताम के आग्रल पर मटियाबाहरा में 25 साल पुराना बांध का जीर्णोद्धार कर उस पर स्टॉप डेम बनाया गया, जिससे यहां के 40 किसानों के 90 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिल रही है। बांध निर्माण के लिये समिति द्वारा 9 लाख 56 हजार रूपये की राशि और मनरेगा से 2 लाख 76 हजार रूपये, कुल 12 लाख 32 हजार रूपये की लागत से उक्त स्टॉप डेम का निर्माण किया गया।

गौरतलब है कि आगामी 5 एवं 6 अक्टूबर को जल एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से जिले के रविशंकर जलाशय गंगरेल बांध में जल जगार महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान जल सभा, वाटर ओलंपिक, जल अभिषेक, हाफ मैराथन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, आसमान से कहानी इत्यादि कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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