खेल जगत

सचिन तेंदुलकर ने आलोचकों को दिया करारा जवाब, कहा- यह महज संयोग था कि बुमराह के खेलने पर भारत हारा

इंग्लैंड में खेले गए पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम ने एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी को 2-2 से बराबर किया। सीरीज बराबरी के बाद भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का मानना है कि जसप्रीत बुमराह के अनुपस्थिति में भारत का इंग्लैंड में दो टेस्ट मैच जीतना केवल एक संयोग है।

सचिन तेंदुलकर ने जसप्रीत बुमराह को करिश्माई तेज गेंदबाज बताते हुए कहा कि वो अब भी असाधारण और अविश्वसनीय है। तेंदुलकर ने कहा कि बुमराह की अनुपस्थिति में बर्मिंघम और द ओवल में भारत की जीत महज संयोग थी। उन्होंने बुमराह के तीन टेस्ट मैच में प्रदर्शन के बारे में बात की। इस तेज गेंदबाज ने श्रृंखला में कुल 14 विकेट लिए।

बुमराह इस सीरीज में वर्कलोड मैनेजमेंट के कारण केवल तीन मुकाबले ही खेल सके। उसके बाद भी टीम इंडिया इस सीरीज को ड्रॉ करवाने में कामयाब रही। जिन मुकाबले में बुमराह नहीं खेले है, भारतीय टीम को उसी मुकाबले में जीत मिली है। हालांकि, तेंदुलकर इसे मात्र एक संयोग मानते हैं।

सचिन तेंदुलकर ने ‘रेडिट’ पर सीरीज का विश्लेषण करते हुए कहा कि बुमराह ने सही में अच्छी शुरुआत की, पहले टेस्ट (पहली पारी में) में पांच विकेट लिए। वह दूसरा टेस्ट नहीं खेले लेकिन तीसरे और चौथे टेस्ट में खेले। फिर इन दो टेस्ट में से एक में उन्होंने पांच विकेट झटके। बुमराह ने जो तीन टेस्ट खेले, उनमें से दो में उन्होंने पांच विकेट लिए। मुझे पता है कि लोग कई बातों पर चर्चा कर रहे हैं कि हम उन टेस्ट मैच में जीते जिनमें वह नहीं खेले। मुझे लगता है कि यह महज एक संयोग है।

तेंदुलकर ने कहा कि बुमराह की गेंदबाजी असाधारण है। वह अब तक जो कर पाए हैं, वह अविश्वसनीय है। इसमें कोई शक नहीं है कि वह लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और मैं उन्हें किसी भी अन्य गेंदबाज से बेहतर मानता हूं। बुमराह की अनुपस्थिति में मोहम्मद सिराज ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और सभी पांच मैच में खेले जिसमें उन्होंने 185.3 ओवर गेंदबाजी करते हुए 23 विकेट झटके। बुमराह आंकड़ों के हिसाब से सिराज से कहीं आगे हैं। उन्होंने 48 टेस्ट मैच में 219 विकेट लिए हैं जबकि सिराज के 41 मैच में 123 विकेट हैं।

तेंदुलकर ने ऑलराउंडर वाशिंगटन सुंदर की जमकर तारीफ की जिन्होंने पूरे मैच में टीम की जीत में अहम योगदान दिया। वह जब भी खेला है, उसने योगदान दिया है। अगर आप दूसरे टेस्ट मैच में देखें तो चौथी पारी में उसने पांचवें दिन लंच से ठीक पहले बेन स्टोक्स को शानदार गेंद पर आउट कर दिया। मुझे लगता है कि यह ‘टर्निंग प्वाइंट’ था।

तेंदुलकर ने कहा कि आखिरी टेस्ट में जब बल्लेबाजी का समय आया तो उन्होंने शानदार शॉट्स लगाते हुए 53 रन बना दिए। उन्होंने बेहतरीन रन गति बनाए रखी। जब क्रीज पर डटे रहने की जरूरत थी तो वह चौथे टेस्ट में ऐसा करने में सफल रहे। जब तेजी से रन जुटाने की जरूरत थी तो उन्होंने पांचवें टेस्ट में ऐसा किया। ‘वैल डन, वाशी’। मुझे सच में बहुत मजा आया।

मुंबई के इस दिग्गज खिलाड़ी ने मैनचेस्टर टेस्ट के दौरान इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स की ड्रॉ की पेशकश पर भारत के इनकार पर भी बात की। उनका मानना था कि रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन को अपने शतक बनाने का पूरा अधिकार था और यह मालूम होने के बाद कि ड्रॉ ही संभावित परिणाम है तो खेल जारी रखने का फैसला पूरी तरह से सही भावना में लिया गया था। उन्होंने कहा कि मैं पूरी तरह से भारतीय टीम के साथ हूं। चाहे वह (गौतम) गंभीर हो या शुभमन (गिल) या जडेजा और वाशिंगटन, उन्होंने फैसला किया और मैं शत प्रतिशत उनके साथ हूं।

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