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रेलवे कालोनी में नाकेबंदी से सब त्रस्त, अधिकारियों को नहीं है कोई भी चिंता

बिलासपुर। जीएम महोदया… रेलवे कालोनी में चारों ओर लगाए जा रहे बेरियर जानलेवा हैं, सड़कों पर जाम की स्थिति बन रही है। स्कूल आने-जाने वाले बच्चों की जिंदगी खतरे में हैं। किसी भी दिन अप्रिय घटना घट सकती है। शुक्रवार को केंद्रीय विद्यालय के पास भीड़ में कई बच्चे दहशत में नजर आ गए

जनप्रतिनिधि भी इन बेतुके फैसलों से परेशान हैं, जबकि अधिकारी अपनी ‘साम्राज्यवादी’ सोच में मस्त हैं। जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है और अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहीं। इधर रेल कर्मचारी और उनके परिजनों को बाजार, स्कूल, अस्पताल और दुकान जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। सुरक्षा की दृष्टि से लगाए गए बेरियर अब स्वयं एक सुरक्षा समस्या बन गए है। रात्रिगश्त के लिए पुलिस और आपातकालीन सेवाओं की टीमों का इन गलियों में प्रवेश मुश्किल हो गया है, जिससे रेल कर्मचारी बेहद परेशान हैं।

वी. रामाराव रेलवे क्षेत्र के पूर्व पार्षद और भारतीय जनता पार्टी के नेता वी. रामाराव ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि भारतीय रेलवे एक सरकारी उपक्रम होते हुए भी उसके अधिकारी अपने क्षेत्र को एक अलग साम्राज्य मानते हैं। अक्सर देखा गया है कि रेल अधिकारी अपने क्षेत्र में गैर-रेलवे लोगों का प्रवेश सहन नहीं कर पाते। इसी कारण कई बार रेलवे क्षेत्र की सड़कों को आम जनता के लिए बंद कर दिया जाता है। इस पर कई बार विरोध भी हुआ, पर रेलवे अधिकारियों ने हमेशा इसे नजरअंदाज किया।

रेलकर्मी व आमजन को हो रही समस्या को लेकर जनप्रतिनिधि बेहद नाराज हैं। वी. रामा राव ने कहा कि इस मुद्दे को जीएम, सांसद और रेल मंत्री तक पहुंचाने का निर्णय लिया है। चिट्ठी लिखकर समस्या से अवगत कराएंगे। वहीं, अन्य जनप्रतिनिधि इस निर्णय के पीछे डीआरएम प्रवीण पांडेय को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि यह समस्या केवल स्कूल के बच्चों तक सीमित नहीं है, बल्कि गुरुनानक चौक से रेलवे क्षेत्र आने-जाने वाले लोग भी इससे प्रभावित हो रहे हैं।

प्रमुख स्थानों पर बड़ी समस्या

आरटीएस कालोनी मुहाना

भारत माता स्कूल सड़क

बुधवारी बाजार मुल्कराज होटल

चुचुहियापारा पानी टंकी

कंस्ट्रक्शन कालोनी

बंगलायार्ड समेत अन्य जगह

खतरे में बच्चों की जिंदगी

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के पालकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि बच्चों के साथ हमें भी आने-जाने में असुविधा हो रही है। केंद्रीय विद्यालय की बात करें तो यहां स्कूल की छुट्टी दोपहर 1:40 बजे होती है और बच्चों को लेने के लिए पालक, बस, कार, रिक्शा और आटो आदि की भारी संख्या में वहां प्रतीक्षा करते हैं। वाहनों का काफी दबाव रहता है। छुट्टी होने पर जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है। बच्चों में भय तो रहता है, साथ ही बड़ों को भी सड़क दुर्घटना का डर बना रहता है।

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