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रायबरेली और कैसरगंज ही नहीं, यूपी की तीन सीटों पर दोनों कैंप का कैंडिडेट लटका है, जानिए क्यों?

उत्तर प्रदेश में अब भी तीन लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। इनमें से वीवीआईपी सीट रायबरेली ऐसी है, जहां पर लंबे समय से गांधी परिवार काबिज है। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी आने के बाद ही भाजपा अपने प्रत्याशी की घोषणा करेगी। वहीं कैसरगंज की तरह राबर्ट्सगंज भी ऐसी सीट हैं, जहां पर मौजूदा सासंद को चुनाव लड़ाना है अथवा नहीं यह गुत्थी ही नहीं सुलझ पा रही है।

कैसरगंज से सांसद बृजभूषण शरण सिंह पिछले दिनों पहलवानों के मुद्दों को लेकर काफी चर्चाओं में रहे। जिसकी वजह से भाजपा नेतृत्व इनके टिकट पर कोई फैसला नहीं कर पा रहा है, हालांकि वह पूरी तरह से चुनाव में सक्रिय नजर आ रहे हैं। नेतृत्व पर उन्हें भरोसा है। चूंकि इस सीट पर एनडीए का प्रत्याशी तय नहीं है, इसलिए इंडिया गठबंधन से भी अभी तक इस सीट से किसी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई है। इस सीट पर विपक्ष भी भाजपा के पत्ते खुलने के बाद ही फैसला लेने के मूड में है शायद इसीलिए अब तक प्रत्याशी नहीं घोषित किए हैं।

कैसरगंज की तरह राबर्टसगंज संसदीय क्षेत्र भी है, जहां से एनडीए और इंडिया किसी ने अब तक प्रत्याशी नहीं दिए हैं। भाजपा ने यह सीट इस बार भी सहयोगी अपना दल (एस) को ही दी है। अद (एस) ने अभी तक यहां प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। विपक्ष यानी सपा ने भी अभी यहां से पत्ते नहीं खोले हैं। इस सीट से अद (एस) से सांसद पकौड़ी लाल कोल हैं। माना जा रहा है कि पार्टी इस सीट से सासंद पकौड़ी लाल कोल या उनके परिवार से किसी अन्य सदस्य को चुनाव लड़ा सकती है। सांसद पकौड़ी लाल कोल कहते हैं कि दो-चार दिन में स्थितियां स्पष्ट हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि पार्टी का जो भी फैसला आएगा वह उन्हें स्वीकार है। गौरतलब है कि पकौड़ी लाल कोल 2009 में इसी सीट से सपा के सांसद थे। 2014 में यहां भाजपा के प्रत्याशी छोटेलाल खरवार चुनाव जीत सांसद बने थे। 2019 में पकौड़ी लाल कोल इस सीट से अद (एस) के टिकट पर सासंद चुने गए।

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