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रायपुर और दुर्ग के 58 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक

रायपुर/दुर्ग। केंद्र सरकार की खरसिया-नवा रायपुर-परमलकसा रेल लाइन परियोजना अब किसानों के लिए विकास से ज्यादा मुसीबत का सबब बन गई है। इस परियोजना के चलते रायपुर और दुर्ग जिलों के कुल 58 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री पर अचानक रोक लगा दी गई है। हैरानी की बात यह है कि रायपुर जिला प्रशासन को अभी तक यह स्पष्ट जानकारी ही नहीं है कि रेलवे लाइन किस-किस खसरे से होकर गुजरेगी, लेकिन इसके बावजूद पूरे गांवों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इससे किसानों में भारी आक्रोश है और वे रोज प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
कलेक्टर ने लगाई रोक, अब पूछ रहे – रेल लाइन कहां से जाएगी?

रायपुर और दुर्ग के प्रशासन ने रेलवे की एक चिट्ठी के आधार पर खरीदी-बिक्री पर रोक तो लगा दी, लेकिन अब रेलवे को पत्र लिखकर पूछा जा रहा है कि रेल लाइन किन गांवों से होकर निकलेगी, कितने खसरे प्रभावित होंगे, और रूट की सटीक जानकारी क्या है।

रायपुर कलेक्टर गौरव कुमार सिंह ने कहा, “यह एक रूटीन प्रक्रिया है, रेलवे से मार्ग की सटीक जानकारी मांगी गई है ताकि बाद में सिर्फ प्रभावित खसरों पर ही रोक लागू रहे।”
रायपुर के 35 गांवों में भी अचानक रोक, रजिस्ट्री से लेकर नामांतरण तक सब रुका

रायपुर जिले के मंदिरहसौद, गोबरा नवापारा और अभनपुर क्षेत्रों के 35 गांवों में भी खरीदी-बिक्री, नामांतरण, बटांकन और रजिस्ट्री पर अचानक रोक लगा दी गई है। रोजाना दर्जनों किसान एसडीएम और एडीएम कार्यालयों में अपनी परेशानियां लेकर पहुंच रहे हैं।
रायपुर में प्रभावित गांव

मंदिरहसौद ब्लॉक: आलेसुर, पचरी, छड़िया, नाहरडीह, पथराकुण्डी, खरोरा, मांठ, बेलदारसिवनी, बुड़ेनी, खौली, टिकारी, डिघारी, नारा, रीवा, परसदा उमरिया, गुजरा, धमनी, गनौद।

गोबरा नवापारा ब्लॉक: खरखराडीह, नवागांव, तर्रा, थनौद, जामगांव

अभनपुर ब्लॉक: गिरोला, बेलभाठा, उरला, अभनपुर, सारखी, कोलर, खोरपा, पलौद, ढोंढरा, खट्टी, परसदा आदि।
दुर्ग में 23 गांवों पर प्रतिबंध, किसानों की फिर बढ़ी मुसीबत

दुर्ग जिले में पहले से ही भारत माला प्रोजेक्ट की वजह से 2018 से 26 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री पर प्रतिबंध है। इनमें से केवल 4 गांवों से ही प्रतिबंध हटाया गया है। अब खरसिया-नवा रायपुर-परमलकसा रेलवे लाइन की वजह से दुर्ग ब्लॉक के 12 और पाटन ब्लॉक के 11 गांव, यानी 23 गांवों पर फिर से रोक लगा दी गई है, जिससे किसानों की मुश्किलें दोगुनी हो गई हैं।
दुर्ग में प्रभावित गांव

दुर्ग ब्लॉक: घुधसीडीह, खोपली, बोरीगारका, पुरई, कोकड़ी, कोडिया, भानपुरी, चंदखुरी, कोनारी, चंगोरी, विरेझर, धनौव

पाटन ब्लॉक: ठकुराईनटोला, बठेना, देमार, अरसनारा, नवागांव, देवादा, सांतरा, मानिकचौरी, बोहारडीह, फेकारी, धौराभाठा
किसानों का छलका दर्द: कहा- न जमीन बेच सकते, न ऋण ले सकते

कई किसान पारिवारिक और आर्थिक कारणों से जमीन बेचना चाहते हैं, लेकिन प्रतिबंध के चलते न वे जमीन रजिस्ट्री कर पा रहे हैं, न बैंक से लोन ले पा रहे हैं। कई मामलों में बच्चों की पढ़ाई, इलाज, शादी जैसे जरूरी काम रुके हुए हैं। दुर्ग और रायपुर दोनों ही जिलों में किसानों के समूहों की मांग है कि जल्द से जल्द रेलवे से खसरा-वार जानकारी मंगाकर केवल उन्हीं जमीनों पर प्रतिबंध लगाया जाए जो रेल लाइन से सीधे प्रभावित हैं। वरना वे अब आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।

NIC की गलती से खसरों में ‘नाबालिग’ शब्द जुड़ा, दो दिन में सुधारी गई गड़बड़ी

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के कई जिलों में खसरा खातों में अचानक ‘नाबालिग’ शब्द जुड़ गया, जिससे हजारों जमीन मालिक बालिग से नाबालिग हो गए। यह गड़बड़ी एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) से हुई, जब भुईयां सॉफ़्टवेयर को अपडेट किया गया। इस त्रुटि के बाद राजस्व विभाग में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में सरकारी छुट्टी होने के बावजूद इसे दो दिन के भीतर ठीक कर लिया गया।

इस गड़बड़ी में रायगढ़, जांजगीर-चांपा, बेमेतरा, गौरेला-पेंड्रा, भरतपुर, सक्ती जैसे जिलों के तहसील क्षेत्र शामिल थे, जहां सैकड़ों-हजारों खसरा खातों में मालिकों के नाम के नीचे ‘नाबालिग’ शब्द अंकित हो गया। यह शब्द पीडीएफ फाइलों में भी दिख रहा था, जिससे दस्तावेजों की वैधता पर सवाल खड़े हो गए थे।

गड़बड़ी के तुरंत बाद एनआईसी ने भुईयां पोर्टल को रीसेट किया, जिससे सभी खसरा खाते पहले की स्थिति में लौट आए और ‘नाबालिग’ शब्द हटा दिया गया।
पंजीयन विभाग में सुधार की तैयारी

इसके साथ ही राज्य सरकार ने नामांतरण का अधिकार पटवारियों और राजस्व अधिकारियों से लेकर पंजीयन विभाग को सौंपने का निर्णय लिया है। इसके तहत प्रदेश के कुछ पंजीयन कार्यालयों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में नामांतरण की सुविधा शुरू की गई है, ताकि रजिस्ट्री के समय बटांकन और नामांतरण भी आसानी से हो सके। इसे लेकर भुईयां पोर्टल को अपडेट किया जा रहा है।
तीन साल पहले भी ऐसी ही गड़बड़ी

यह पहली बार नहीं है जब भुईयां सॉफ़्टवेयर में इस तरह की गड़बड़ी हुई हो। वर्ष 2022 में भी सॉफ्टवेयर अपडेट के दौरान प्रदेशभर के सभी खसरा रकबों का एक ही नंबर (0139) हो गया था और कई ज़मीनों का रकबा घट गया था। उस समय भी यह गड़बड़ी रीसेट करके ठीक की गई थी।

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