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राजनाथ सिंह के ‘ट्रेलर’ से खौफजदा हुआ पाकिस्तान, डर के साये में आया बिलावल का बयान

नई दिल्ली: पहलगाम हमले के बाद 7 मई को भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में ऑपरेशन ‘सिंदूर’ चलाकर आतंक पर बड़ा प्रहार किया। इसके बाद भारत पाकिस्तान में युद्ध जैसे हालात देखने को मिले। हालांकि 10 मई को ही युद्ध विराम हो गया, लेकिन पिछले 24 घंटों में आए बयानों ने माहौल को फिर से गरमा दिया है। पाकिस्तान की संसद में सांसदों ने भारत की ओर से नए हमले की आशंका जताई है। बिलावल भुट्टो ने युद्ध विराम को लेकर बड़ा दावा किया है, जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिक्चर अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हुई है।

युद्ध विराम की घोषणा के 5 दिन बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का अपने बयान से पलटना, झूठी जीत का जश्न मना रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का अचानक भारत से बातचीत की पेशकश करना, पाकिस्तान की संसद में सांसदों का भारत की ओर से नए हमले की आशंका जताना और तेजी से बदलते घटनाक्रम ने चर्चाओं को हवा दे दी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या युद्ध विराम फिर से टूटेगा? क्या तनाव फिर से बढ़ेगा? 18 मई को लेकर पाकिस्तान इतना बेचैन क्यों है…?

सवाल यह भी है कि क्या 18 मई को कुछ बड़ा होने वाला है? एक तरफ ऑपरेशन सिंदूर का खौफ अब पाकिस्तान में आतंकियों के चेहरों पर साफ दिखाई दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ 18 मई की तारीख पाकिस्तानी संसद में सांसदों को डरा रही है। क्या यह डर ऑपरेशन सिंदूर पार्ट-2 का है? पाकिस्तानी सांसद सैयद शिबली फराज ने कहा कि वह चैन से नहीं बैठेंगे…अब हमें बहुत सतर्क रहना होगा।
पाकिस्तानी सांसदों को हमले का डर

पाकिस्तान की संसद में सांसदों ने खुलेआम भारत की तरफ से एक और हमले का डर जताया है। पाकिस्तानी सांसद डरे हुए हैं और यह डर सिर्फ संसदों तक ही सीमित नहीं है। पाकिस्तानी सेना की सुरक्षा में भी आतंक के आकाओं को बुलेटप्रूफ शीशे के पीछे छिपना पड़ रहा है। इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान दुनिया को दिखाने के लिए झूठी जीत का जश्न मना रहा है, देश के प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख एक के बाद एक सैन्य ठिकानों का दौरा कर जीत का ऐलान कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि पाकिस्तान 18 मई की तारीख से डर रहा है।

दरअसल, 18 मई को भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच सीजफायर पर चौथे दौर की बातचीत होनी है, लेकिन बातचीत से ठीक पहले कुछ ऐसा हुआ जिससे भारत-पाकिस्तान को लेकर सस्पेंस बढ़ गया है। इस सस्पेंस की वजह है अमेरिकी राष्ट्रपति का सीजफायर पर अपना रुख बदलना। बिलावल भुट्टो का सीजफायर पर सवाल उठाना। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का अचानक भारत से बातचीत के लिए राजी हो जाना।

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 10 मई को सोशल मीडिया पोस्ट में घोषणा की थी कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में उनकी अहम भूमिका है, लेकिन 15 मई को ट्रंप ने अपने बयान से पलटते हुए कहा कि मैंने कभी नहीं कहा कि मैंने मध्यस्थता की। मैंने सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में मदद की।
बिलावल भुट्टो के बयान ने तीन इशारे किए हैं। पहला ये कि पाकिस्तान को सीजफायर टूटने का डर है। दूसरा इशारा यह है कि पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर का डर है। इसके साथ ही भारत की अगली कार्रवाई का डर और पाकिस्तान का परमाणु युद्ध की ओर इशारा शामिल है। दूसरी तरफ बिलावल भुट्टो ने जैसे ही सीजफायर तोड़ने के संकेत दिए, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज ने एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने भारत से बातचीत शुरू करने की बात कही।

भारत पहले ही साफ कर चुका है कि सीजफायर शांति की शुरुआत नहीं, बल्कि एक विराम मात्र है। जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं करता, तब तक शांति की उम्मीद सिर्फ एक छलावा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आतंकियों को मुआवजा देकर फंसे पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर पार्ट-2 की उल्टी गिनती शुरू हो गई है? क्या अगले निशाने पर हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे चेहरे हैं? क्या टारगेट-9 ट्रेलर था और टारगेट-21 पूरी तस्वीर है?

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