देश विदेश

योग गुरु उच्चतम न्यायालय ने रामदेव को पतंजलि आयुर्वेद को कई रोगों के संबंध में अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में ‘‘झूठे’’ और ‘‘भ्रामक’’ दावे करने के प्रति किया आगाह

नयी दिल्ली, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक टिप्पणी में कहा, ‘‘पतंजलि आयुर्वेद के ऐसे सभी झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत रोकना होगा। अदालत ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगी…।’’.शीर्ष अदालत ने टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ रामदेव पर अभियान का आरोप लगाने वाली आईएमए की याचिका पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय तथा पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को नोटिस जारी किया था।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद से कहा कि वह चिकित्सा की आधुनिक पद्धतियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित न करें।

न्यायालय ने कहा कि यदि यह गलत दावा किया जाता है कि किसी विशेष बीमारी को ठीक किया जा सकता है तो पीठ प्रत्येक उत्पाद पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने पर भी विचार कर सकती है।

शीर्ष अदालत ने केंद्र की ओर से पेश वकील से भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों के मुद्दे का समाधान तलाशने को कहा, जहां कुछ बीमारियों का सटीक इलाज करने वाली दवाओं के बारे में दावे किए जा रहे हैं।

पीठ अब आईएमए की याचिका पर अगले साल 5 फरवरी को सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए एलोपैथी और एलोपैथिक चिकित्सकों की आलोचना करने के लिए रामदेव की कड़ी आलोचना की थी और कहा था कि उन्हें डॉक्टरों और उपचार की अन्य प्रणालियों को बदनाम करने से रोका जाना चाहिए।

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था, ‘‘गुरु स्वामी रामदेव बाबा को क्या हुआ है?…हम उनका सम्मान करते हैं क्योंकि उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया। हम सभी इसे करते हैं। लेकिन, उन्हें दूसरी पद्धति की आलोचना नहीं करनी चाहिए।’’

पीठ ने कहा था, ‘‘इसकी क्या गारंटी है कि आयुर्वेद, जो भी पद्धति वह अपना रहे हैं, वह काम करेगी? आप ऐसे विज्ञापनों को देखते हैं जिनमें सभी डॉक्टरों पर ऐसे आरोप लगाए जाते हैं मानो वे हत्यारे हों। बड़े-बड़े विज्ञापन दिए गए हैं।’’

आईएमए ने कई विज्ञापनों का हवाला दिया था, जिनमें कथित तौर पर एलोपैथ और डॉक्टरों को गलत तरीके से दिखाया गया था। यह भी कहा गया था कि आम जनता को गुमराह करने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं के उत्पादन में लगी कंपनियों द्वारा भी ‘‘अपमानजनक’’ बयान दिए गए हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button