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मॉब लिंचिंग और नाबालिग से रेप के लिए सजा-ए-मौत, नए आपराधिक कानूनों में नया और क्या?

नई दिल्ली: भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता (The Indian Penal Code) से बदला जाएगा, क्योंकि सरकार औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों को खत्म करना चाहती है. गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बिल पेश करते हुए कहा कि नए कानूनों में मॉब लिंचिंग और नाबालिगों से रेप जैसे अपराधों के लिए मौत की सजा शामिल होगी.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

भारतीय न्याय संहिता में बीस नए अपराध शामिल किए गए हैं, इनमें संगठित अपराध, आतंकवादी कृत्य, हिट-एंड-रन, मॉब लिंचिंग, धोखे से किसी महिला का यौन शोषण, छीनना, भारत के बाहर उकसाना, भारत की संप्रभुता, अखंडता और एकता को खतरे में डालने वाले कार्य और गलत या फर्जी न्यूज दिखाना शामिल हैं.

नए बिल महिलाओं और बच्चों की रक्षा करने वाले कानूनों को प्राथमिकता देते है, हत्यारों को दंडित करते हैं और राज्य को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को रोकते हैं.

आतंकवादी गतिविधि के दायरे को व्यापक करते हुए, नए विधेयक में अब भारत की रक्षा के लिए विदेशों में नुकसान या विनाश शामिल है. पहले, यह भारत के भीतर सरकारी, सार्वजनिक या निजी सुविधाओं को नुकसान पहुंचाने तक सीमित था.

आतंकी प्रावधान में अब सरकार को किसी भी गतिविधि को करने या करने से रोकने के लिए किसी व्यक्ति को हिरासत में लेना, अपहरण करना भी शामिल होगा.

मॉब लिंचिंग में अपराध की गंभीरता के आधार पर मौत की सज़ा हो सकती है. नाबालिग से रेप के लिए मृत्युदंड को भी अधिकतम सजा के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.

पहली बार, सरकार ने 5,000 रुपये से कम की चोरी और पांच अन्य छोटे अपराधों के लिए सजा के रूप में ‘सामुदायिक सेवा’ को शामिल किया है.

ट्रांसजेंडर को ‘लिंग की परिभाषा’ में शामिल किया गया है. नए विधेयक में व्यभिचार और समलैंगिक यौन संबंध को अपराध के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया गया है.

आत्महत्या की कोशिश करना अब आपराधिक अपराध नहीं माना जाएगा.

अमित शाह ने ऐलान किया कि देशद्रोह कानून खत्म कर दिया गया है. प्रस्तावित कानून से “देशद्रोह” शब्द हटा दिया गया है और इसकी जगह एक ऐसी धारा जोड़ी गई है जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को अपराध मानती है.

राजद्रोह पर मौजूदा कानून में तीन साल तक की जेल या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. नए प्रावधान में अधिकतम सजा को बढ़ाकर सात साल कर दिया गया है.

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