मालेगांव ब्लास्ट केस में निशाने पर थे मोहन भागवत, पूर्व ATS अफसर के दावे से बवाल

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की एक विशेष अदालत 31 जुलाई को मालेगांव ब्लास्ट मामले में फैसला सुनाया है। एआईए ने साध्वी प्रज्ञा सहित सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। एनआईए की विशेष अदालत ने कहा कि मामले की जांच में कई गलतियां थी। बाइक में बम प्लांट किया गया ये साबित नहीं हुआ। इस फैसले के बाद एटीएस के एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने बड़ा खुलासा किया है।
महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए विस्फोट मामले की जांच करने वाले महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (ATS) के एक पूर्व पुलिस अधिकारी महबूब मुजावर ने दावा किया कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था।
भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी 7 आरोपियों को बरी करने के निचली अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सेवानिवृत्त निरीक्षक महबूब मुजावर ने कहा कि RSS प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश का उद्देश्य भगवा आतंकवाद को स्थापित करना था।
सोलापुर में महबूब मुजावर ने कहा कि कोर्ट के फैसले ने एटीएस के फर्जीवाड़े को नकार दिया है। शुरू में एटीएस ने मामले की जांच की थी, लेकिन बाद में इसे राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने अपने हाथ में ले लिया।
मुजावर ने एक वरिष्ठ अधिकारी का नाम लेते हुए कहा कि इस फैसले ने एक फर्जी अधिकारी द्वारा की गई फर्जी जांच को उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट की जांच करने वाली एटीएस टीम का हिस्सा थे, जिसमें 6 लोग मारे गए थे और 101 अन्य घायल हुए थे। उन्होंने दावा किया कि उन्हें मोहन भागवत को पकड़ने के लिए कहा गया था।
ATS के पूर्व अधिकारी ने कहा कि मैं यह नहीं कह सकता कि एटीएस ने उस समय क्या जांच की और क्यों… लेकिन मुझे राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जैसी हस्तियों के बारे में कुछ गोपनीय आदेश दिए गए थे। ये सभी आदेश ऐसे नहीं थे कि उनका पालन किया जा सके।
मुजावर ने कहा कि दरअसल, उन्होंने उनका पालन नहीं किया क्योंकि उन्हें हकीकत पता थी। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहन भागवत जैसी बड़ी हस्ती को पकड़ना मेरी क्षमता से परे था। चूंकि मैंने आदेशों का पालन नहीं किया, इसलिए मेरे खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया और इसने मेरे 40 साल के करियर को बर्बाद कर दिया।
पूर्व पुलिस अधिकारी महबूब मुजावर ने कहा कि उनके पास अपने दावों के समर्थन में दस्तावेजी सबूत हैं। उन्होंने कहा कि कोई भगवा आतंकवाद नहीं था। सब कुछ फर्जी था।