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मणिपुर के 25 स्कूलों की CBSE मान्यता रद्द

नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने मणिपुर के उन 25 स्कूलों की CBSE मान्यता रद्द कर दी है, जिन्होंने राज्य सरकार से NOC नहीं ली थी. राज्य सरकार ने केंद्रीय बोर्ड को बताया कि उसने नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं दिया. सीबीएसई के नियम के मुताबिक, राज्य बोर्ड स्कूलों को केंद्रीय बोर्ड मान्यता के लिए आवेदन करने से पहले राज्य सरकार से NOC प्राप्त करना कानूनी तौर पर जरूरी होता है. CBSE SARAS 4.0 वेबसाइट पर अब कांगपोकपी और चुराचांदपुर के 25 स्कूल CBSE मान्यता वाले नहीं दिख रहे हैं. SARAS ‘स्कूल एफिलिएशन री-इंजीनियर्ड ऑटोमेशन सिस्टम’ का संक्षिप्त रूप है, जो पूरे भारत में 28,900 से अधिक स्कूलों की संबद्धता स्थिति को वास्तविक समय में अपडेट करता है.

मणिपुर स्कूल शिक्षा संयुक्त सचिव अंजलि चोंगथम ने आज एक बयान में कहा,” सीबीएसई ने हाल ही में स्कूलों को दी गई मान्यता तत्काल प्रभाव से इस आधार पर वापस ले ली, क्यों कि इन स्कूलों द्वारा जमा की गई एनओसी राज्य सरकार के अधिकृत पदाधिकारियों द्वारा जारी नहीं की गई है.” अपने बयान में मणिपुर सरकार ने यह भी चेतावनी दी कि वह राज्य शिक्षा और सीबीएसई नियमों का उल्लंघन करने या केंद्रीय बोर्ड को संबद्धता अनुरोध प्रस्तुत करने में कथित धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी.

शिक्षा मंत्री थ बसंता ने इम्फाल में मीडिया से कहा कि आखिरी बार शिक्षा विभाग ने मई 2020 में कोई एनओसी दी थी. शिक्षा विभाग के मामले से परिचित लोगों ने आज एनडीटीवी को बताया कि शुरुआती जांच के बाद, सरकार ने राज्य सरकार की जानकारी के बिना कथित तौर पर एनओसी देने के लिए कांगपोकपी में एक शिक्षा अधिकारी और चुराचांदपुर में एक पूर्व शिक्षा अधिकारी तक सीमित कर दिया है.

बता दें कि मई 2020 और मई 2023 के बीच की 25 स्कूलों में से ग्यारह को सीबीएसई की मान्यता दी गई थी. वहीं 14 स्कूलों को पिछले छह महीनों में मान्यता दी गई. सभी 25 स्कूल दो पहाड़ी जिलों चुराचांदपुर और कांगपोकपी में हैं, जहां मई में घाटी-बहुसंख्यक मौतेई और पहाड़ी-बहुसंख्यक कुकी जनजाति के बीच हिंसा हुई थी.

दो पहाड़ी जिलों में शिक्षा बोर्ड का राज्य से केंद्र में परिवर्तन बहुत ही विवादास्पद हो गया, क्योंकि इसे एक नई व्यवस्था को औपचारिक रूप देने के नरम प्रयास के रूप में देखा गया. कांगपोकपी जिले के करीब सात स्कूल प्रिंसिपलों ने सोमवार को एनडीटीवी को बताया कि उनके ZEO लिंग्नेइकिम किपगेन, जो शिक्षा विभाग के तहत काम करते हैं, ने एनओसी दी है. सोमवार और मंगलवार को किपगेन को की गई कॉल का कोई उत्तर नहीं मिला.

वहीं चुराचांदपुर ZEO ने सोमवार को एनडीटीवी को बताया कि उनके पूर्ववर्ती जो इस साल जून में चले गए थे, उन्होंने एनओसी आवेदनों को संभाला, जबकि उन्होंने जुलाई में पदभार संभाला था और उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है. हालही में सीबीआई से मान्यता मिलने वाले कांगपोकपी स्कूल के प्रिंसिपल ने नाम न छापने की शर्त पर एनडीटीवी को बताया, “3 मई के बाद मणिपुर में स्थिति ऐसी थी कि राज्य बोर्ड के तहत काम करना असंभव हो रहा था. हमें परीक्षा समन्वय और अन्य राज्य बोर्ड के काम के लिए इम्फाल जाना पड़ता है. यह कैसे संभव होगा?”

कांगपोकपी में एक अन्य स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि उन्होंने एनओसी के लिए आवेदन करने में उचित प्रक्रिया का पालन किया है. इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा विभाग को लिखे पत्र दिखाए, जिसमें शिक्षा बोर्ड स्विच के लिए एनओसी की मांग की गई है. हालांकि प्रिंसिपल शिक्षा विभाग का जवाब नहीं दिखा सके, लेकिन उन्होंने जोनल शिक्षा अधिकारी से मिली एनओसी दिखा दी. जब प्रिंसिपल से पूछा गया कि क्या उन्हें पता है कि राज्य मंत्री के अधीन शिक्षा विभाग से एनओसी न लेना नियमों का उल्लंघन हो सकता है, तो उन्होंने आगे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया क्योंकि जेडईओ के पास एनओसी देने का समग्र अधिकार नहीं है.

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