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भारत सरकार के डाटा के अनुसार स्कूलों में एड्मिशन लेने में आदिवासी समाज की लड़कियां आगे

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज की शिक्षा परंपरागत रूप से चुनौतियों का सामना करती आई है, लेकिन अब इसमें सुधार के संकेत दिख रहे हैं। मिनिस्ट्री आफ ट्राइबल अफेयर्स के 2022 आंकड़ों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज में पुरुषों की साक्षरता दर 70.1% थी, जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 48.8% थी। 2022-23 में, आदिवासी समाज की कुल साक्षरता दर 73.6% तक पहुंच गई है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 80.4% और महिलाओं की साक्षरता दर 66.7% है। वहीं, स्कूली स्तर पर भी इसी तरह का माहौल देखने को मिल रहा है। भारत सरकार के डाटा के अनुसार स्कूलों में एड्मिशन लेने में लड़कियां आगे हैं। बीते सालों में आदिवासी समाज में बच्चों की शिक्षा को लेकर सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले हैं।

वर्ष 2016 से 2020 के बीच के आंकड़ों के अनुसार आदिवासी बच्चों की माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में सफलता दर में लगातार सुधार देखा गया है। उदाहरण के लिए, 2020 में माध्यमिक परीक्षा में आदिवासी छात्रों की सफलता दर लड़कों के लिए 72.16% और लड़कियों के लिए 74.13% रही। इसी तरह, उच्च माध्यमिक शिक्षा में 2020 में लड़कों की सफलता दर 74.49% और लड़कियों की 80.41% रही।

शिक्षा में लिंग समानता सूचकांक के मामले में भी आदिवासी छात्रों के लिए प्रगति दर्ज की गई है। 2021-22 में माध्यमिक स्तर पर 1.03, उच्च माध्यमिक स्तर पर 1.06 और उच्च शिक्षा में 0.98 था। यह सूचकांक इस बात का प्रमाण है कि आदिवासी समुदाय में लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और उनके लिए शिक्षा के अवसर बढ़ रहे हैं।

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