भारत का शाही गोलकोंडा ब्लू डायमंड जेनेवा में होगा नीलाम

नई दिल्ली: भारत में केवल धर्म और संस्कृतियों का ही संगम नहीं है, यह अपने अंदर कई ऐतिहासिक शाही विरासत को भी समेटे हुए है। यही वजह है कि भारत पर कई बार मुगलों ने आक्रमण किया और बहुमूल्य शाही खजानों को लूटा। हालांकि इसके बाद भी भारत में ऐतिहासिक शाही आभूषणों की कमी नहीं है। देश की ऐसी ही शाही विरासत ऐतिहासिक गोलकोंडा ब्लू (Golconda Blue) की जिनेवा में क्रिस्टीदज के मैग्नीफिसेंट ज्वेल्स सेल में पहली बार नीलामी की जाएगी। खास बात ये है कि यहां फोर सीजन्स होटल डेस बर्गेस में यह ऑक्शन रखा गया है।
बताया जाता है कि यह ऐतिहासिक हीरा तेलंगाना स्थित गोलकुंडा की खुदाई के दौरान प्राप्त हुआ है। यहां से दुनिया के प्रसिद्ध हीरों का खनन हुआ है। अब ये गोलकोंडा ब्लू डायमंड 14 मई को जिनेवा में नीलामी के लिए रखा जाएगा। इसकी कीमत करोड़ों रुपये में आंकी जा रही है।
क्या है गोलकोंडा ब्लू डायमंड की खासियत…
गोलकोंडा ब्लू डायमंड ऐतिहासिक नीले रंग का चमकदार हीरा है। इसे पेरिस के प्रसिद्ध डिजाइनर जेएआर ने एक आकर्षक अंगूठी में जड़ा है। यह हीरा 23.24 कैरट का बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि 259 वर्ष के इतिहास में क्रिस्टी में इतना खास और बेशकीमती हीरे की नीलामी करने का मौका मिला है। यह क्रिस्सी के अपने आप में बहुत सम्मान की बात है।
ऐतिहासिक गोलकोंडा ब्लू डायमंड बेहद कीमती है। यह नीला चमकदार हीरा गोलकुंडा की मशहूर खदानों से ही वर्तमान में प्राप्त हुआ है। इसकी कीमत का अंदाजा लगाना आम व्यक्ति या स्वर्णकारों के बस के भी बाहर है। यह हमारे-आपकी तो सोच के भी बाहर है। खास अंगूठी में जड़े इस 23.24 कैरेट गोलकोंडा ब्लू हीरे की कीमत 300 से 430 करोड़ रुपये है।
क्रिस्टी के अंतरराष्ट्रीय आभूषण प्रमुख राहुल कडाकिया ने बताया कि इस बेशकीमती हीरे पर कभी इंदौर और बड़ौदा के महाराजाओं को स्वामित्व रहा है। भारतीय राजघराने से इसका पुराना नाता रहा है। इंदौर के सम्राट महाराजा यशवंत राव होल्कर द्वितीय अपनी आधुनिक सोच और अंतरराष्ट्रीय जीवनशैली के लिए जाने जाते थे। 1920 से 1930 के दशक में उनका कार्यकाल काफी समृद्ध था। वर्ष 1923 में सम्राट के पिता ने इस खास हीरे का कंगन बनवाया था और दो गोलकोंडा पियर्स हीरे भी खरीदे थे।
उन्होंने एक दशक बाद मौबौसिन को अपना अधिकारिक जौहरी नियुक्त किया। उन्होंने इस शाही संग्रह को दोबारा डिजाइन किया और आकर्षक हीरों के हार के रूप में इंदौर पियर्स हीरों के साथ शामिल कर लिया। बाद में इसे न्यूयॉर्क के जोहरी हैरी विंस्टन ने खरीदा और सफेद हीरे के ब्रोच में जड़ दिया। बाद में यह ब्रोच बड़ौदा के महाराज के पास पहुंचा और शाही वंश के हाथों में पहुंचते हुए आगे बढ़ा। 14 ई को इस बेशकीमती हीरे की नीलामी होनी है।