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कोंदा भैरा के गोठ- व्यंग्यकार सुशील भोले…

लोगन ल ए काहत सुनथन न जी भैरा.. वोला अतेक खवाएंव-पियाएंव फेर नमक नइ लगिस.. नमकहराम निकलगे.. न गुन के होइस न जस के.
-हाँ.. लोगन कहिथें तो जी कोंदा.. ए तो चलन म हावय.
-फेर चिकित्सा वैज्ञानिक मन के कहना हे- दूसर के नून ल तो खानच नइ चाही अपन घर-परिवार म घलो कमतीच नून बउरना चाही.
-अच्छा.
-हहो.. अभी हमर देश के राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान अउ अनुसंधान केंद्र ह जेन सर्वेक्षण करे हे, तेकर मुताबिक इहाँ के लोगन रोज अपन खाना म 8 ग्राम नून के उपयोग कर डारथें, जबकि हमर देंह बर 5 ग्राम नून ह पर्याप्त होथे.
-वाह भई.. हमला तो एकर गमे नइ रिहिसे.
-चिकित्सा वैज्ञानिक मन के कहना हे- बीपी, स्ट्रोक, गैस्ट्रिक कैंसर जइसन कतकों किसम के रोग-राई अभी जेन देखे ले मिलत हे, तेन सबो ह जादा नून खाए के सेती ही होवत हे.

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