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बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ को सपोर्ट करने जाएंगे अखिलेश, राहुल-तेजस्वी के साथ करेंगे ‘कदमताल’

समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस यात्रा में शामिल होने जा रहे हैं, जिससे ‘इंडिया’ गठबंधन की एकजुटता का एक बड़ा और स्पष्ट संदेश जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि वह 30 अगस्त को या आखिरी दिन यानी 1 सितंबर को इस यात्रा में शामिल हो सकते हैं।

अखिलेश यादव का इस यात्रा में शामिल होना केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक गहरी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश और बिहार, दोनों ही हिंदी भाषी पट्टी के सबसे बड़े और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य हैं। इन दोनों राज्यों के प्रमुख युवा नेताओं- राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव- का एक मंच पर आना, यह दर्शाता है कि ‘इंडिया’ गठबंधन अब केवल बैठकों और प्रेस कॉन्फ्रेंस तक सीमित नहीं है, बल्कि वह जमीन पर उतरकर एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।

यह कदम भाजपा के उस नैरेटिव का सीधा जवाब है, जिसमें वह ‘इंडिया’ गठबंधन को बिखरा हुआ और नेतृत्वविहीन बताती है। अखिलेश की भागीदारी से गठबंधन को न केवल बिहार में, बल्कि पूरे उत्तर भारत में एक मजबूत राजनीतिक आधार मिलेगा। यह दिखाता है कि क्षेत्रीय पार्टियां अपने-अपने राज्यों की सीमाओं से बाहर निकलकर एक व्यापक राष्ट्रीय लड़ाई के लिए एकजुट हो रहे हैं।

यह यात्रा मतदाता सूची से कथित तौर पर नाम हटाए जाने के मुद्दे को लेकर निकाली जा रही है, जिसे विपक्षी दल ‘वोट चोरी’ बता रहे हैं। अखिलेश का इसमें शामिल होना इस आरोप को और बल देगा और यह संदेश देगा कि यह लड़ाई सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन है।

राहुल, तेजस्वी के साथ अखिलेश यादव भी चुनाव आयोग पर निशाना साधते रहे हैं। इन तीनों नेताओं का एक साथ आना यह भी दर्शाता है कि विपक्षी दल अब युवा चेहरों को आगे रखकर जनता से सीधा संवाद स्थापित करना चाहते हैं। उनका संयुक्त अभियान आगामी चुनावों में भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर सकता है।

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