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पहाड़ों में अब नेटवर्क की कोई समस्या नहीं, 24 घंटे मोबाइल टावर करेंगे काम!

अगर पहाड़ों में सफर के दौरान आपका मोबाइल नेटवर्क चला जाता है या बार-बार गायब हो जाता है, तो अब ये दिक्कत दूर होने वाली है. सरकार ने इसके लिए कमर कस ली है और यहां मौजूद सभी मोबाइल टावर को बिजली हो या ना हो, लेकिन 24 घंटे चलाए रखने की टेक्नोलॉजी मिलने वाली है. देश में अभी टोटल 10 लाख से ज्यादा मोबाइल टावर हैं और इसमें से कई हजार पहाड़ी और दूर-दराज के इलाकों में है.

दूर-दराज के इलाकों में मोबाइल टावर को 24 घंटे चलाए रखने के लिए सरकार ने हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाला सॉल्युशन तैयार किया है. ये बेहद कम लागत में जहां मोबाइल टावर को बिजली उपलब्ध कराएगा. वहीं कोई भी प्रदूषण नहीं करेगा. अभी जिन इलाकों में ग्रिड से जुड़ी बिजली नहीं पहुंच पाती है, वहां पर डीजल के जेनरेटर से मोबाइल टावर को बिजली दी जाती है. इससे बहुत ज्यादा प्रदूषण होता है.

सरकार ने बनाया PEM सॉल्युशन
सरकार ने हाइड्रोजन से चलने वाला PEM (Proton Exchange Membrane) फ्यूल सेल डेवलप किया है. ये फ्यूल सेल प्लग-एंड-प्ले तरीके से काम करते हैं. डीजल जेनरेटर के मुकाबले ये कम समय में अपने आप स्टार्ट हो जाते हैं और कम तापमान पर भी चलते हैं. इससे भी बड़ी बात कि इन फ्यूल सेल से सिर्फ पानी की फुहार ही बाहर निकलती है और ये बिल्कुल भी धुंआ नहीं छोड़ते हैं.

TRAI ने भी की थी तैयारी
सरकार देश में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने और प्रदूषण कम करने की कोशिश कर रही है. इसमें मोबाइल टावर से होने वाला प्रदूषण अहम कारक है. टेलीकॉम रेग्युलेटर ट्राई ने भी 2012 में ही टेलीकॉम कंपनियों से कह दिया था कि वह ग्रामीण इलाकों में लगे 50 प्रतिशत और शहरों में लगे 33 प्रतिशत मोबाइल टावर को हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी से चलाएं.

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